आबादी तो बढ़ी, लेकिन पेयजल योजना नहीं बनी
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: शहर को जिला मुख्यालय बने 20 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन इस बीच शहर की आबादी
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: शहर को जिला मुख्यालय बने 20 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन इस बीच शहर की आबादी तीन गुना से भी अधिक बढ़ी, बावजूद इसके पुरानी पेयजल योजनाओं के भरोसे ही व्यवस्थाएं संचालित हो रही हैं।
वर्ष 1997 की बात करें तो तब नगर क्षेत्र की आबादी लगभग पांच हजार थी, और अब बीस वर्ष बाद आबादी पंद्रह हजार पहुंच गई है, और शहर में पुरानी पेयजल योजना पुनाड़ से ही पेयजल आपूर्ति बहाल हो रही है। नई पेयजल योजना का प्रस्ताव तो बनाया गया है, लेकिन इसे शासन से स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
रुद्रप्रयाग शहर के लिए वर्ष 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने पं¨पग योजना निर्माण की घोषणा की थी, लेकिन घोषणा भी धरातल पर नहीं उतर पाई है। इस के पश्चात जल निगम ने अलकनंदा नदी से पंपिंग योजना का आगणन तैयार कर 15 करोड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा है, लेकिन प्रस्ताव को भेजे दो वर्ष बीत चुका है, अभी तक इसकी स्वीकृति नहीं मिल पाई है। वहीं वार्ड सदस्य देवेन्द्र ¨सह कप्रवाण का कहना है कि नगर में आबादी बढ़ने के साथ ही पेयजल योजना का भी निर्माण होना चाहिए था, ताकि पूरे नगर क्षेत्र में पेयजल की आपूर्ति सही तरीके से हो सके। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष प्रदीप थपलियाल का कहना है कि गत दिनों मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी शहर में पेयजल योजना के निर्माण की घोषणा की है, उम्मीद है कि शीघ्र शहर में नई पेयजल योजना स्वीकृत हो जाएगी। वहीं जल संस्थान के अधिशासी अभियंता एके गुप्ता का कहना है कि जल निगम ने नई पेयजल योजना का आगणन तैयार कर शासन को भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद ही नई पेयजल योजना का निर्माण हो सकेगा।