ठंड में जकड़ी शीतकालीन यात्रा
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ व तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ व तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की गद्दीस्थल मक्कूमठ का बेहतर प्रचार-प्रचार न होने से शीतकालीन यात्रा को गति नहीं मिल रही है। अभी तक ओंकारेश्वर मंदिर में लगभग 500 यात्री पहुंचे है, जबकि मक्कूमठ में नाममात्र यात्री ही पहुंचे।
जिले में भगवान शिव को प्रथम केदार केदारनाथ, द्वितीय केदार मद्महेश्वर व तृतीय केदार तुंगनाथ की विभिन्न रूपों में पूजा अर्चना उच्च हिमालयी क्षेत्रों में की जाती है। छह माह के लंबे ग्रीष्मकालीन प्रवास के पश्चात शीतकाल के लिए भगवान शिव का अपने शीतकालीन गद्दीस्थलों में विराजते है। भगवान केदारनाथ व द्वितीय केदार की पूजा अर्चना ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ, जबकि तृतीय केदार की पूजा मक्कूमठ में होती है। यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। इन शीतकालीन गद्दीस्थलों का बेहतर प्रचार प्रचार न होने से यात्री यहां तक नाममात्र ही पहुंच पाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त शिव के इन धामों में नहीं पहुंच सकते हैं, वह भोले बाबा के दर्शन शीतकालीन गद्दीस्थल में कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं।
आपदा के बाद प्रदेश सरकार ने पिछले वर्ष से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही यात्रियों की संख्या में इजाफा करने को लेकर शीतकालीन यात्रा को शुरू किया था, लेकिन पिछले वर्ष तो शीतकाल में नाममात्र यात्री ही पहुंचे थे। गत 13 नवम्बर को केदारनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए थे। इसके बाद भगवान के डोली ओंकारेश्वर मंदिर में विराजने के बाद शीतकालीन यात्रा शुरू हो गई थी। ऐसे में मंदिर समिति ने 16 नवम्बर से शीतकालीन यात्रा को शुरू किया। अभी तक ओंकारेश्वर मंदिर लगभग 500 यात्री बाबा केदार के दर्शनों को पहुंच चुके हैं। जबकि तृतीय केदार तुंगनाथ की शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में नाममात्र यात्री पहुंच सके हैं।
ओंकारेश्वर मंदिर में इस वर्ष प्रतिदिन शाम को क्षेत्र की पांच कीर्तन मंडलियां कीर्तन-भजन करेंगे। इसके अलावा पंडा समाज को यात्रा का प्रसार-प्रसार करने का जिम्मा दिया गया है। इसके बदले में उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। गत 16 नवम्बर से अभी तक ओंकरेश्वर मंदिर में लगभग 500 यात्री पहुंच चुके हैं।
अनिल शर्मा
कार्याधिकारी, बदरी-केदार मंदिर समिति ऊखीमठ