एलएनटी का मुआवजा देने से इंकार
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग : जल विद्युत कंपनी एलएनटी ने स्पष्ट किया है कि वह आपदा पीड़ितों को सीधा मुआ
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग : जल विद्युत कंपनी एलएनटी ने स्पष्ट किया है कि वह आपदा पीड़ितों को सीधा मुआवजा नहीं देगी। कंपनी की नीति के अनुसार मुख्यमंत्री राहत कोष में पीड़ितों को दी जाने वाली धनराशि जमा कर दी गई है। वहीं विधायक शैलारानी रावत ने प्रभावितों को उनके साथ देहरादून चलकर सीएम से इस संबंध में वार्ता करने को कहा है।
एलएनटी कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधक अक्षत भारद्वाज ने कहा कि केदारनाथ आपदा के दौरान पीड़ितों की मदद को लेकर कंपनी ने भी मदद की है। कंपनी की नीति के अनुसार ही मुख्यमंत्री राहत कोष में लगभग पांच करोड़ की धनराशि जमा कर दी गई है। ऐसे में अब सीधे पीड़ितों को मुआवजा नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि मुआवजा में यह स्पष्ट भी किया गया है, यह धनराशि आपदा पीड़ितों की मदद के लिए ही देने से संबंधित पत्र लिखा था।
वहीं, पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत आंदोलन कर रहे आपदा प्रभावित बुधवार को करीब दस बजे बेडूबगड़ स्थित एलएनटी कार्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने एक सभा का आयोजन किया। आंदोलन को समर्थन देने पहुंची केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत ने कहा कि आपदा प्रभावितों ने उन्हें पूर्व में जो ज्ञापन दिया था, उसे उन्होंने मुख्यमंत्री को दे दिया। कहा कि सभी आंदोलनकारी उनके साथ देहरादून चलें। वहां इस मामले में मुख्यमंत्री से वार्ता की जाएगी। उन्होंने कहा कि वे पहले भी और आज भी आपदा प्रभावितों के साथ खड़ी हैं। आपदा प्रभावितों की मांग जायज है।
इसके पश्चात आपदा प्रभावित भवन स्वामी संघर्ष समिति के रमेश बेंजवाल, कुलदीप कंडारी, योगम्बर नेगी, कुंवर सजवाण, शांति देवी, दीपा देवी एलएनटी कार्यालय में पहुंचे। एलएनटी अधिकारियों से आंदोलन से संबंधित चार बिंदुओं पर लिखित जवाब मांगा पर कंपनी प्रबंधन से जबाव नहीं दिया। इस पर आंदोलनकारियों व पुलिस प्रशासन के बीच नोकझोंक भी हुई। मामला बढ़ते देख उप जिलाधिकारी सदर सीएस चौहान ने दोपहर करीब दो बजे एलएनटी अधिकारियों को निर्देशित किया कि आंदोलनकारियों ने जिन बिंदुओं पर जवाब मांगा है, उनका तिथि वार ब्योरा आपदा प्रभावितों को दें। इसके बाद आपदा प्रभावित शांत हुए।
इस मौके पर एनटी रुद्रप्रयाग एनएस भंडारी, अगस्त्यमुनि थानाध्यक्ष देवेन्द्र रावत समेत भारी संख्या में आपदा प्रभावित मौजूद थे।