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अंगारों के लिए एकत्र की 80 कुंतल लकड़ी

संवाद सूत्र, गुप्तकाशी: बुधवार से शुरू होने वाले जाख मेले के आयोजन के लिए मेला समिति ने 80 कुंतल लकड़

By Edited By: Published: Tue, 14 Apr 2015 05:25 PM (IST)Updated: Tue, 14 Apr 2015 05:25 PM (IST)
अंगारों के लिए एकत्र  की 80 कुंतल लकड़ी

संवाद सूत्र, गुप्तकाशी: बुधवार से शुरू होने वाले जाख मेले के आयोजन के लिए मेला समिति ने 80 कुंतल लकड़ियां एकत्रित कर दी हैं। इन लकड़ियों के अंगारों पर जाखराजा का पश्वा नृत्य करता है।

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गुप्तकाशी क्षेत्र के अन्तर्गत देवशाल गांव में चौदह गांवों के मध्य स्थापित जाखराजा मंदिर में प्रतिवर्ष जाख मेले का भव्य रुप से आयोजन किया जाता है। मेला शुरू होने से दो दिन पूर्व से भक्तजन बड़ी संख्या में पौराणिक परंपरानुसार नंगे पांव, सिर में टोपी और कमर में कपड़ा बांधकर लकडि़यां, पूजा व खाद्य सामग्री एकत्रित करने में जुट जाते हैं। इसके साथ ही भव्य अग्निकुंड तैयार किया जाता है। इस अग्निकुंड के लिए हर वर्ष ग्रामीणों के सहयोग से अस्सी कुंतल से अधिक लकड़ियों से कोयला बनाया जाता है। मेले के पहले दिन व रात्रि को अग्नि कुंड व मंदिर के दोनों दिशाओं में स्थित देवी देवताओं के पारंपरिक पूजा-अर्चना के बाद अग्नि कुंड में रखी लकड़ियों पर अग्नि प्रज्वलित की जाती है। जो रात भर जलती रहती है। इसकी रक्षा में नारायणकोटी व कोठेडा के ग्रामीण रात्रिभर जागरण करके जाख देवता के नृत्य के लिए अंगारें तैयार करते है। अगले दिन भगवान जाख राजा के पश्चात इन दहकते हुए अंगारों के बीच नृत्य करते है।

यह है मान्यता

जाख देवता यक्ष व कुबेर के रुप में भी माने जाते है। उनके दिव्य स्वरूप की अलोकिक लीला प्रतिवर्ष अग्नि कुंड में दहकते अंगारों पर नृत्य करते हुए विश्व कल्याण की कामना करते है। तथा अतिवृष्टि व आपदा से बचने के लिए भी जाख देवता की पूजा की जाती है। इसके साथ ही जिस भक्त को जाखराजा का आशीर्वाद मिलता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण हो जाती है।


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