नियति बना खतरों भरा सफर
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग : भरदार क्षेत्र के ग्रामीणों को अपने घरों को पहुंचने के लिए दो-दो बाधाएं प
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग : भरदार क्षेत्र के ग्रामीणों को अपने घरों को पहुंचने के लिए दो-दो बाधाएं पार करनी पड़ रही है। एक ओर जर्जर पैदल मार्ग ग्रामीणों के सफर को खतरनाक बना रहे हैं व दूसरी ओर ग्रामीण ट्रॉली से आवाजाही करने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का यह सफर किसी जोखिम से कम नहीं है। इसे देखते हुए ग्रामीणों ने शीघ्र पैदल मार्ग का निर्माण करने की मांग की है।
गौरीकुंड हाईवे पर संगम बाजार से जुड़े भरदार क्षेत्र को जाने वाला पैदल मार्ग आज भी बदहाली की कहानी बयां कर रहा है। एक दर्जन से अधिक गांवों का यह इकलौता पैदल मार्ग है। आपदा को बीते डेढ़ वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन किसी ने इस मार्ग की सुध नहीं ली। वर्तमान में इस मार्ग की स्थित यह है कि यहां सुरक्षा रेलिंग भी नहीं है। मार्ग पर आवाजाही तो होती है, लेकिन जर्जर मार्ग पर रोज जान जोखिम में डालकर ग्रामीण आवाजाही करते हैं। यहां रात को आवाजाही करना बड़ा कठिन हो जाता है। रात को आवाजाही में जरा सी भी चूक जान पर भारी पड़ सकती है। ग्रामीणों के लिए पहली बाधा बदहाल पैदल मार्ग है, जबकि दूसरी ओर पैदल मार्ग के बाद ग्रामीणों को ट्रॉली का सफर तय करना होता है। जवाड़ी के प्रधान कुंवर लाल कहते हैं कि यहां पर पुल निर्माण को कई बार प्रशासन से वार्ता हो चुकी है, लेकिन आज तक पुल निर्माण नहीं हुआ। दरमोला ग्राम सभा की किरन रावत कहती हैं कि आपदा के बाद भी इस पैदल मार्ग की स्थिति जस की तस बनी हुई है। पहले तो रास्ते से बचकर निकलते हैं, फिर उसके बाद ग्रामीणों के लिए दूसरी समस्या ट्रॉली है। जर्जर मार्ग पर आवाजाही करना मुश्किल है। उन्होंने पैदल मार्ग को शीघ्र ठीक किए जाने की मांग की है।
भरदार की पीड़ित ग्राम सभाएं
माई की मंढी, दरमोला, जवाड़ी, उत्यासू, जवाडी, ऊपरी जवाडी, डुंग्री, रोठिया, स्वीली सेम, तरवाड़ी
पहले इस मार्ग को नगर पालिका बना रही थी, इसके लिए बकायदा प्रस्ताव भी तैयार किया गया था। अब यह मार्ग पर्यटन विभाग की ओर से बनाया जाएगा।
राकेश नौटियाल, नगर पालिका, अध्यक्ष, रुद्रप्रयाग