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केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट भी बंद

-बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली ऊखीमठ रवाना -मई से अब तक चालीस हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने क

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 08:16 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 08:16 PM (IST)
केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट भी बंद

-बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली ऊखीमठ रवाना

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-मई से अब तक चालीस हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किए बाबा केदार के दर्शन

-यमुनोत्री की डोली शीतकालीन प्रवास पर खरसाली पहुंची

-बीते छह माह में मात्र 38 हजार यात्री यमुनोत्री पहुंचे

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जागरण संवाददाता, गढ़वाल : भैया दूज के पावन पर्व पर शीतकाल के लिए केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट भी बंद कर दिए गए। बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हो गई। वहीं दोपहर बाद यमुना की डोली खरसाली पहुंची, जहां विधि विधान के साथ भोग मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया गया। अब आगामी छह माह बाबा केदार के दर्शन ऊखीमठ और मां यमुना के दर्शन खरसाली में होंगे। गौरतलब है कि शुक्रवार को गंगोत्री धाम के कपाट बंद किए जा चुके हैं। हालांकि अगले माह 27 नवंबर तक भगवान बदरी विशाल के दर्शन बदरीनाथ में ही किए जा सकेंगे।

केदारनाथ में शनिवार को ब्रह्ममुहूर्त से ही कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। सर्वप्रथम मंदिर के पुजारी, हक हकूकधारी व ब्राहमणों ने भगवान शिव की पूजा की। इसके बाद सुबह करीब छह बजे चल विग्रह डोली को गर्भ गृह में लाया गया। पूजा-अर्चना और मंदिर की परिक्रमा के बाद डोली 7.44 बजे शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर के लिए रवाना हुई। इसी के साथ ठीक आठ बजे जिला प्रशासन व मंदिर समिति के पदाधिकारियों और हक हकूकधारियों की मौजूदगी में धाम के कपाट बंद कर दिए गए। इस अवसर पर तकरीबन ढाई सौ श्रद्धालु मौजूद थे। शनिवार को डोली रामपुर में रात्रि विश्राम कर रविवार को गुप्तकाशी पहुंचेगी। सोमवार को भगवान केदारनाथ ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होंगे। चार मई को कपाट खुलने के बाद से अब तक कुल 40832 श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए। आपदा के बाद से सरकार सीमित संख्या में भक्तों को केदारनाथ भेज रही थी।

शनिवार को वैदिक मंत्रोच्चारण और विशेष पूजा अर्चना के बीच शीतकाल के लिए यमुनोत्री धाम के भी कपाट बंद किए गए। इससे पहले सुबह खरसाली से बड़ी तादाद में भक्त शनि देव की डोली के साथ मां यमुना को लाने यमुनोत्री पहुंचे। जहां सूर्यकुंड में स्नान के बाद तीर्थ पुरोहितों ने विशेष पूजा की। यमुना स्त्रोत पाठ के बाद 11 बजकर 15 मिनट पर तीर्थ पुरोहित यमुना की भोगमूर्ति को डोली में मंदिर से बाहर लाए। इसके साथ ही शीतकाल के लिये यमुनोत्री धाम के कपाट बंद कर दिये गये। डोली के यमुनोत्री धाम से प्रस्थान करते ही सैकड़ों श्रद्धालुओं का हुजूम दर्शनों के लिये उमड़ पड़ा। इस मौके पर शहरी विकास मंत्री व यमुनोत्री के विधायक प्रीतम सिंह पंवार भी मौजूद थे। यमुनोत्री मंदिर से करीब सात किमी की पैदल दूरी तय कर भोगमूर्ति को शीतकालीन प्रवास खरसाली गांव में पहुंचाया गया। खरसाली में भोगूमूर्ति को विधि विधान के साथ मंदिर में स्थापित किया गया। यमुनोत्री मंदिर समिति के उपाध्यक्ष पवन सेमवाल ने कहा कि शीतकाल में यमुना की पूजा खरसाली गांव मे ही होगी। इस बार बीते छह माह में मात्र 38 हजार यात्री ही यमुनोत्री पहुंचे, जबकि आपदा से पहले यह संख्या करीब तीन लाख रहती थी। दूसरी ओर शुक्रवार को गंगोत्री से चली मां गंगा की डोली शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा पहुंच गई। इसे मुखबा स्थित गंगा मंदिर में स्थापित कर दिया गया।

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