पैदल मार्ग पर ग्लेशियरों के टूटने का खतरा
बृजेश भट्ट, रुदप्रयाग
रामबाड़ा से केदारनाथ तक बनाया जा रहा नया पैदल मार्ग ग्लेशियर प्रभावित क्षेत्र है, जिससे यात्रा के दौरान खतरा पैदा हो सकता है। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन को सतर्कता बरतने की जरूरत है।
गत वर्ष आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक पैदल मार्ग बह गया था। प्रशासन ने रामबाड़ा से दूसरी पहाड़ी पर लिनचोली होते हुए केदारनाथ तक नया पैदल मार्ग बनवाया। इस बार भी इसी रास्ते को दुरुस्त किया जा रहा है। लिनचोली से केदारनाथ तक लगभग चार किलोमीटर क्षेत्र ग्लेशियर प्रभावित क्षेत्र है। अप्रैल व मई में ग्लेशियर पिघलने शुरू हो जाते हैं। बर्फ के पहाड़ नीचे गिरते रहते हैं। लिनचोली से केदारनाथ तक पैदल मार्ग इसी क्षेत्र में है। ऐसे में भक्तों की जान को भी खतरा बना रहेगा। ग्लेशियरों के टूटने के दौरान पैदल मार्ग पर कोई यात्री सफर न करे, इसके लिए प्रशासन को तैयारियां करनी होगी। दोपहर बाद गर्मी होने पर ग्लेशियर टूटने की आशंका अधिक होती है।
यह है समस्या
-अप्रैल व मई में टूटते रहते हैं ग्लेशियर
-लिनचोली से केदारनाथ बेस कैंप तक खतरा
-चार किमी पैदल मार्ग पर सतर्कता बरतने की जरूरत
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'जैसे-जैसे तापमान बढे़गा ग्लेशियर पिघलते हैं। तीव्र ढलान पर ग्लेशियर स्थित नहीं रह सकता, यही स्थिति लिनचोली से केदारनाथ तक है। इस लिए यात्रा के लिए दौरान पैदल मार्ग के ऊपर स्थित ग्लेशियरों पर नजर रखी जानी जरूरी है।
-डॉ भानु नैथानी, उपाचार्य भूगोल विभाग, केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल
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