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कागजों में ओडीएफ, खुले में शौच

विजय उप्रेती, पिथौरागढ़: प्रदेश खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) वाला चौथा राज्य बन चुका है, मगर सीमांत जन

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Jun 2017 06:56 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jun 2017 06:56 PM (IST)
कागजों में ओडीएफ, खुले में शौच

विजय उप्रेती, पिथौरागढ़: प्रदेश खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) वाला चौथा राज्य बन चुका है, मगर सीमांत जनपद में अभी भी कई ऐसे गांव हैं, जहां शौचालय नहीं होने से ग्रामीण खुले में शौच जाते हैं। ऐसा ही एक गांव जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर पंचेश्वर घाटी से लगा सेल गांव हैं।

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स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों को खुले में शौचमुक्त बनाए जाने के लिए शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। उत्तराखंड इस श्रेणी में सिक्किम, हिमाचल, केरल के बाद चौथा ऐसा राज्य बन चुका है जो खुले में शौचमुक्त घोषित हो चुका है, मगर इसकी एक दूसरी तस्वीर सीमांत जनपद का सेल गांव दिखाता है। जिला मुख्यालय से महज 40 किमी दूर होने के बाद भी यह गांव अभी भी पूर्ण रू प से शौचालय मुक्त नहीं बन पाया है। लगभग 200 परिवारों वाले इस गांव के करीब 50 परिवार ऐसे हैं, जिनके पास अपना शौचालय नहीं है। इस कारण ये परिवार आज भी खुले में शौच करने को विवश हैं।

स्वच्छता को लेकर जनपद में कई योजनाएं आईं जरू र, मगर गरीबों की चौखट तक इनकी दस्तक नहीं पहुंची। यही कारण रहा कि आजादी के सात दशक बाद भी जिले के कई परिवार शौचालय की सुविधा से वंचित हैं। शौचालय रहित परिवार असुरक्षित माहौल में खुले में शौच के लिए मजबूर हैं। इससे न सिर्फ प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को पलीता लग रहा है, बल्कि पर्यावरण में भी जहर घुल रहा है। सरकार द्वारा चलाई जा रही इस मुहिम का जनता स्वागत तो करेगी, मगर देखना होगा कि क्या वास्तव में उत्तराखंड खुले में शौच से मुक्त हुआ है।

अपना शौचालय नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को झेलनी पड़ती है। शौचालय के लिए कई बार आवेदन मांगे गए, मगर अभी तक शौचालय नहीं बन पाया है। मजबूरी में खुले में शौच जाना पड़ता है।

परिचय: चनी देवी

अपना शौचालय बनवाना चाहता हूं। आर्थिक स्थिति कमजोर होने से नहीं बन पाया। शौचालय के लिए सरकारी सहायता नहीं मिल पा रही है।

परिचय: उमेद राम

शौचालय के लिए नाम मात्र का गड्ढा खोदकर निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिया गया है। जिस कारण खुले में शौच जाना मजबूरी है।

परिचय: गुलाब राम

शौचालय के लिए कई बार ग्रामीणों से फोटो खिंचवाई। बावजूद इसके न ही शौचालय बन पाया और न ही अनुदान राशि मिल पाई। खुले में शौच जाना मजबूरी बन गया है।

परिचय: पुष्कर सिंह

पूर्व में किए गए सर्वे के अनुसार सभी ग्राम पंचायतें शौच मुक्त पाए गए। वर्तमान में जिन स्थानों पर शौचालय नहीं बनाए गए हैं, वहां शीघ्र शौचालयों का निर्माण कराया जाएगा। सी रविशंकर, जिलाधिकारी, पिथौरागढ़।


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