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हिमालय की संजीवनी पर मंडरा रहा बड़ा खतरा

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: उत्तराखंड को जड़ी बूटी प्रदेश बनाने की कवायद अब ठंडी पड़ती जा रही है। राज्

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Jun 2017 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 20 Jun 2017 01:00 AM (IST)
हिमालय की संजीवनी पर मंडरा रहा  बड़ा खतरा
हिमालय की संजीवनी पर मंडरा रहा बड़ा खतरा

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: उत्तराखंड को जड़ी बूटी प्रदेश बनाने की कवायद अब ठंडी पड़ती जा रही है। राज्य गठन से पहले उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पैदा हो रही आधा दर्जन जड़ी बूटियां खतरे की जद में आ गई हैं। जंगलों में स्वत: पैदा होने वाली जड़ी बूटियों को तस्कर खत्म कर रहे हैं। नाप भूमि पर हो रही छोटी-मोटी कवायद से ही जड़ी बूटियों का अस्तित्व बचा हुआ है।

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यूं तो प्रदेश के पहाड़ी और मैदानी जिलों में जड़ी बूटी पैदा होती हैं, लेकिन उच्च हिमालयी क्षेत्र में पैदा होने वाली जड़ी बूटी किसी अन्य क्षेत्र में तैयार नहीं हो सकती है। करीब दस हजार से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में पैदा होने वाली इन जड़ी बूटियों के लिए हिमपात के साथ ही मौसम में ठंडक जरु री है। राज्य गठन से पहले उच्च हिमालयी क्षेत्र में अच्छी खासी बसासत थी। इन गांवों में रहने वाले लोग तमाम बहुमूल्य जड़ी बूटी पैदा करते थे, लेकिन राज्य गठन के बाद जिस तेजी से पलायन बढ़ा है, इससे उच्च हिमालयी क्षेत्र के कई गांव खाली हो गए है और इसका सीधा असर जड़ी बूटी उत्पादन पर पड़ा है। दूसरा बड़ा कारण उच्च हिमालयी क्षेत्र के बुग्यालों में लगनी वाली आग भी है। पिछले दस वर्षो से जिले के बुग्याल आग की चपेट में आ रहे हैं। आग लगने के पीछे शिकारियों की सक्रियता को भी एक बड़ा कारण माना जाता है। बुग्यालों में आग से भी जड़ी बूटी का उत्पादन सिकुड़ रहा है। दस वर्ष पूर्व तक वन विभाग उच्च हिमालयी क्षेत्र की इन जड़ी बूटियों की निकासी के लिए अनुमति पत्र (रमन्ना)जारी करता था, लेकिन खतरे में आई इन जड़ी बूटियों के विदोहन के लिए अब अनुमति नहीं दी जाती है। इन जड़ी बूटियों को रेड बुक में शामिल कर लिया गया है।

रेड बुक में शामिल जड़ी बूटियां

1. अतीस

2. कूटी

3.सालम पंजा

4. जटामासी

5. अतिवसा

6. गरू ड़ पंजा

चार-चार विभाग फिर भी नहीं बदली तस्वीर

पिथौरागढ़: प्रदेश सरकारों ने जड़ी बूटी उत्पादन के लिए तमाम दावे किए। भेषज विकास इकाई, जड़ी-बूटी शोध संस्थान गोपेश्वर, सगंध पौध केंद्र सेलाकुई और वन विभाग जड़ी बूटी उत्पादन को कार्य करते हैं, इसके बावजूद खतरे में आई उच्च हिमालयी क्षेत्र की जड़ी बूटियों को बचाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं हो पा रही है।

कम ऊंचाई वाले इलाकों में पैदा होने वाली जड़ी बूटी

1. तेजपत्ता

2. बड़ी इलाइची

3. सतावर

4. अश्वगंधा

5. सर्पगंधा

6. मुसली

7. काली हल्दी

कम ऊंचाई वाले इलाकों में जड़ी बूटी का उत्पादन बढ़ रहा है। तमाम काश्तकार तेजपत्ता और बड़ी इलाइची का अच्छा उत्पादन कर रहे हैं, लेकिन उच्च हिमालयी क्षेत्र की जड़ी बूटियों का उत्पादन बढ़ाने के लिए पलायन रोकने के साथ ही बुग्यालों को आग से बचाने के इंतजाम करने होंगे।

राजेंद्र जोशी, जिला पर्यवेक्षक, भेषज संघ


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