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पहाड़ों तक लाए रोजगार, ऐसी हो सरकार

संवाद सूत्र, थल (पिथौरागढ़) : पहाड़ को लेकर ही उत्त्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया। राज्य बनने के 1

By Edited By: Published: Mon, 23 Jan 2017 06:21 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jan 2017 06:21 PM (IST)
पहाड़ों तक लाए रोजगार, ऐसी हो सरकार
पहाड़ों तक लाए रोजगार, ऐसी हो सरकार

संवाद सूत्र, थल (पिथौरागढ़) : पहाड़ को लेकर ही उत्त्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया। राज्य बनने के 16 वर्षों बाद भी पहाड़ी क्षेत्र उपेक्षित है। पहाड़ों से रोजगार के अभाव में पलायन जारी है। पर्वतीय राज्य में पहाड़ी क्षेत्र हाशिए पर है। गांवों में न तो रोजगार के साधन हैं और न ही कृषि करने को बुनियादी जरूरतें। आज भी खेत आसमान पर निर्भर हैं तो मजदूरी तक नहीं मिल रही है। पर्वतीय क्षेत्र में सबसे बदहाल शिक्षा और चिकित्सा है। बीमार होने पर दो सौ किमी दूर मैदान में पहुंच कर उपचार मिलता है। सरकार के सारे दावों की पहाड़ पहुंचने तक हवा निकल जाती है। इसी बात को सोमवार को जोग्यूड़ा थल में दैनिक जागरण की चौपाल मौजूद ग्रामीणों ,मजदूरों, महिलाओं , शिक्षकों ने अपनी बात बेबाक से बात रखी। लोगों का कहना था कि जब तक पहाड़ तक विकास नहीं पहुंचता है तब तक राज्य खुशहाल नहीं हो सकता है।

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पहाड़ों में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है। रोजगार के नाम पर गिनी , चुनी नौकरियां हैं जो मिलती नहीं हैं। युवा और बेरोजगार दर -दर भटक रहे हैं। पहाड़ में शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है। सरकार ऐसी होनी चाहिए जो शिक्षा के स्तर में सुधार लाए और पहाड़ तक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए।

रमा जोशी, शिक्षाविद्

फोटो फाइल: 23 पीटीएच 22

पहाड़ में गरीबों , मजदूरों का जीना अब मुश्किल हो चुका है। गांवों से लेकर कस्बों तक मजदूरी नहीं मिल रही है। इसके लिए गांवों से पलायन हो रहा है। गरीब और मजदूर भविष्य को लेकर परेशान हैं। सरकार ऐसी चाहिए जो पहाड़ के मजदूरों और गरीबों को साल भर मजदूरी उपलब्ध कराए।

मंजू देवी, ग्रामीण महिला

फोटो फाइल: 23 पीटीएच 23

जब तक समान विकास की नीति नहीं होगी तब तक कोई भी राज्य विकास नहीं कर सकता है। यदि जाति, धर्म को लेकर सरकार चलाई जाए तो समाज तक विकास नहीं पहुंच सकता है। पहाड़ और मैदान को लेकर बन रही नीतियों के तहत पहाड़ हाशिए पर जा रहा है। जब तक प्रदेश के अंतिम छोर तक विकास नहीं पहुंचेगा तब विकास संभव नहीं है।

सतीश जोशी , ग्रामीण

फोटो फाइल: 23 पीटीएच 24

उत्त्तराखंड राज्य पहाड़ी राज्य है। राज्य का पहाड़ी हिस्सा ही उपेक्षित है। पहाड़ से जीतने वाले नेता भी मैदान में चले जाते हैं। ऐसे में पहाड़ का भला संभव नहीं है। सरकार ऐसी चाहिए जो पहाड़ के सभी स्थानों को एक जैसी नजर से देखे और विकास का खाका भी समान रू प से बनाए। तभी जाकर राज्य का भला होगा।

पार्वती देवी , ग्रामीण महिला

फोटो फाइल: 23 पीटीएच 25

पहाड़ में कुछ भी ठीक नहीं है। नेता ही बढ़े हैं। गांव, घरों की स्थिति खराब है। कोई ध्यान नहीं देता है। नेता चुनाव के समय ही आते हैं। सरकार पहाड़ के लिए कोई कार्य नहीं करती है। सरकार ऐसी चाहिए जो पहाड़ े हितों के लिए कार्य करे।

शांति बिष्ट, ग्रामीण महिला

फोटो फाइल: 23 पीटीएच 26

उत्त्तराखंड राज्य तो बना परंतु पहाड़ का भला नहीं हुआ है। अभी तक पहाड़ के लिए कोई नीति नही बनी है। पलायन नहीं थम रहा है। सरकार ऐसी चाहिए जो पहाड़ से पलायन रोकने के लिए ठोस नीति बनाए। पहाड़ खाली हो रहा है सरकारें कागजी योजनाएं बना रही हैं।

चिंतामणि जोशी, कृषक

फोटो फाइल: 23 पीटीएच 27

राज्य बन गया परंतु पहाड़ की जवानी और पानी का अभी तक उपयोग नहीं हो सका है। किसी भी राज्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण उसकी जवानी और पानी है। पहाड़ का पानी बेकार बह रहा है और जवानी रोजगार के लिए भटक रही है । सरकार ऐसी चाहिए जो यहां के पानी और जवानी को रोक कर उपयोग कर सके।

हरीश जोशी ग्रामीण

फोटो फाइल: 23 पीटीएच 28


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