सड़कें स्वीकृत हुई पर बनी नहीं
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: पहाड़ों में गांवों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए गांवों को सड़क से जोड़ने
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: पहाड़ों में गांवों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए गांवों को सड़क से जोड़ने की योजना तैयार कर सड़कें स्वीकृत होती रहीं। कई साल गुजर जाने के बाद भी गांव सड़क से नहीं जुड़ सके। सड़कों को आधी-अधूरी बनाकर छोड़ दिया गया। एक दो दशक पूर्व तक गुलजार रहने वाले गांवों में अब सुनसानी छाई है। कृषि के लिए उपजाऊ सेरों के बाद सड़क के अभाव में गांव खाली होते जा रहे हैं। व्यवस्था ऐसी कि गांवों के लिए स्वीकृत 3 से लेकर 10 किमी सड़क कई वर्ष गुजर जाने के बाद भी नहीं बन रही हैं।
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सात साल में नहीं बनी तीन किमी सड़क
बेरीनाग: तहसील का गोरघटिया सदाबहार नाले के मुहाने पर स्थित गराऊं, सागराऊ, दोनखोला, जगथली, कांडे, जाख जैसे गांव हैं। जिसमें गराऊं एक ऐसा गांव है जो कुछ वर्षो पूर्व तक इस क्षेत्र में सबसे अधिक अनाज उत्पादन करने वाला गांव था। इस गांव के खेतों में फसल लहलहाती थी। सिंचाई के लिए गोरघटिया नाले का पानी था। विडंबना यह थी कि गांव सड़क से जुड़ा नहीं था। इस गांव को सड़क सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पीएमजीएसवाई, स्पेशल कंपोनेंट और मंडी परिषद से तीन सड़कें स्वीकृत हुई। चार साल गुजर गए तीनों महकमे आज तक सात किमी सड़क का निर्माण नहीं कर सके। सड़क की आस में दो तीन वर्ष पूर्व पलायन थमता नजर आ रहा था। परंतु आधी अधूरी सड़कों को लेकर एक बार फिर पलायन तेज हो गया है। गराऊं जैसे गांव में अंगुलियों में गिनने भर परिवार रह चुके हैं।
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फोटो फाइल: 7 पीटीएच 8-जीवन पंत, ग्रामीण गराऊं
गराऊं निवासी जीवन पंत ने बताया कि सरकार का गांवों तक सड़क पहुंचाने का दावा केवल खानापूर्ति है। तीन सड़कें स्वीकृत होने के बाद भी गांव सड़क से वंचित हैं। सड़कों के नाम पर पत्थरों का अवैध धंधा चलता है।
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राजेंद्र रावत, निवासी जाख
फोटो फाइल: 7 पीटीएच 7
जाख निवासी राजेंद्र रावत का कहना है कि देश में बुलेट ट्रेन चलाने और विकसित देशों में दूसरे ग्रहों में बसने की बात होने लगी है। हम पहाड़वासियों को वाहन से चलने के लिए सड़क तक नहीं मिल रही है। गांवों में ग्रामीण कैसे रहते हैं केवल चुनाव के समय उनकी याद आती है।
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गलत सर्वे के चलते सड़क से वंचित हैं तल्ला चरमावासी
अस्कोट: तहसील डीडीहाट का चरमा नदी किनारे स्थित तल्ला चरमा क्षेत्र के एक दर्जन गांवों के ग्रामीणों को सड़क नसीब नहीं हो रही है। ग्रामीणों को अपने बाजार पहुंचने के लिए चार किमी की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। भागीचौरा से बगना शक्तिपुर तक स्वीकृत 10 किमी सड़क 10 वर्षो में नहीं बन सकी है। सर्वप्रथम सड़क का सर्वे ही गलत किया गया। गलत सर्वे के चलते मार्ग में कठोर चट्टान आने के बाद मार्ग निर्माण का कार्य अटक गया। जिसके चलते बगना शक्तिपुर, डुंगरी, अमकोट , कनेती , ख्वांकोट सहित कई गांव आज भी सड़क से वंचित है। जिसका परिणाम इस क्षेत्र से हो रहा पलायन है। सड़क के अभाव में लोग तलाऊं वाली इस जल से भरपूर क्षेत्र को छोड़कर बाहर बसने लगे हैं। क्षेत्र के युवा समाजसेवी मनोज पांडेय बताते हैं कि सड़क विहीन इस क्षेत्र में लोग शादी , ब्याह के रिश्ते तक जोड़ने से कतराते हैं।