अभिनय के लिए भाव-अभिव्यक्ति जरूरी
श्रीनगर: फिल्म, टीवी और थिएटर के प्रसिद्ध कलाकार ललित मोहन तिवारी ने क्षेत्र के रंगकर्मियों के साथ अपने अनुभव साझा किए और उन्हें अभिनय की बारिकीयां सिखाई। उन्होंने कहा कि कोई भी कलाकार अभिनय में कभी पूर्ण नहीं होता।
कला दर्पण थिएटर ग्रुप में प्रशिक्षु और पुराने रंगकर्मियों व साहित्य की विभिन्न विधाओं से जुड़े कलाकारों को संबोधित करते हुए एनएसडी के पूर्व छात्र ललित मोहन तिवारी ने कहा कि अभिनय में भाव-भंगिमा और अभिव्यक्ति का महत्व है। बॉडी लैंग्वेज और एक्सप्रेशन से ही आधा अभिनय पूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में नए युवा थिएटर, फिल्म और टीवी में काम कर रहे हैं। केवल ग्लैमर को देखकर अभिनय को आसान समझ लेना ठीक नहीं। उन्होंने नए कलाकारों को संवाद अदायगी और उच्चारण सुधारने के टिप्स भी दिए। संस्थान के निदेशक परवेज अहमद ने स्मृति चिह्न भेंट कर उनका सम्मान किया। कार्यक्रम में डॉ. सुवर्ण रावत, नीरज नैथानी, दीवान सिंह चौहान, कृष्णा रावत, अंजलि भंट्ट, यतींद्र बहुगुणा समेत अन्य प्रशिक्षु रंगकर्मी मौजूद थे।
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