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महफूज नहीं हैं गुलदार

By Edited By: Published: Wed, 22 Feb 2012 01:06 AM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2012 01:08 AM (IST)
महफूज नहीं हैं गुलदार

पौड़ी गढ़वाल, जागरण कार्यालय: गढ़वाल के घने जंगलों के बीच गुलदार सुरक्षित नहीं है। मात्र तीन साल में ही 33 गुलदारों की मौत हुई है। वन विभाग इन मौतों को महज दुर्घटना ही मानता है। वहीं, अन्य जानवरों की मौत पर गौर करें तो तीन साल में एक भालू, दो घुरड़ व तीन काकड़ मरे हैं। बहरहाल गुलदारों की मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं।

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गढ़वाल में गुलदार की मौत के आंकड़ें सबसे अधिक हैं, वहीं वन विभाग मानता है कि गुलदार दुर्घटनाओं में मरे हैं। रविवार को मल्ली गधेरे में एक गुलदार का शव बरामद हुआ। उसके चारों पंजे व दांत गायब थे। हालांकि, विभाग इसे तस्कर की करतूत करार नहीं दे रहा। गुलदार की यह मौत अभी भी रहस्य बनी हुई। यही नहीं, बल्कि गत वर्ष भिताई के जंगल में तीन गुलदार करीब करीब इसी हालत में मिले और इनकी मौत भी दुर्घटना में दर्शाई गई।

वर्ष 2009 से 2011 तक वन्यजीवों के हमले में पांच लोगों की मौत हुई और 109 लोग घायल हुए हैं। यानि ग्रामीण गुलदार की दहशत में जी रहे हैं। ऐसे में गुलदार पहले निशाने पर है। यदि शिकारी गांव के जंगल में गुलदार को निशाना बना दें तो इसकी भनक तक वन विभाग को नहीं मिलती। लोग हर गुलदार को आदमखोर समझ रहे हैं। ऐसे में गुलदार अब महफूज नहीं है।

वर्ष 2009 से 2012 तक वन्य जीवों की मौत

जीव 2009 2010 2011 2012

गुलदार 08 09 14 02

भालू 00 01 00 00

घुरड़ 01 01 00 00

काकड़ 01 01 01 00

अधिकारी बोले

'गुलदार की मौत के आंकड़े अधिक है। इसे लेकर वन विभाग भी चिंतित है। गुलदार संरक्षण की दिशा में वन विभाग बेहद सतर्कता से कार्य करने की योजना बना रहा है। इसके बाद मौत के आंकड़ों में निश्चित रूप से कमी आएगी।'

-राधेश्याम शुक्ला, उप प्रभागीय वनाधिकारी पौड़ी।

'गुलदार के शिकार का एक भी मामला अभी तक सामने नहीं आया है। प्रत्येक मौत की गहन जांच हुई। इसमें यही पाया गया कि दुर्घटना व स्वाभाविक मौत से ही गुलदार मर रहे हैं।

-एमबी सिंह, प्रभागीय वनाधिकारी पौड़ी।

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