शोपीस बने स्वास्थ्य केंद्र, मरीज बेहाल
संवाद सूत्र, धुमाकोट : प्रखंड नैनीडांडा के स्वास्थ्य केंद्र लंबे समय से 'शोपीस' बने हैं। मामूली बीमा
संवाद सूत्र, धुमाकोट : प्रखंड नैनीडांडा के स्वास्थ्य केंद्र लंबे समय से 'शोपीस' बने हैं। मामूली बीमारी पर रामनगर अथवा कोटद्वार की दौड़ लगाना ग्रामीणों की नियति बन गई है। ऐसा नहीं कि 'तंत्र' से इस प्रखंड की बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल छिपा हो, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी चिकित्सकों की कमी का हवाला देते हुए हाथ खड़े करते नजर आते हैं।
लैंसडौन विधानसभा के अंतर्गत प्रखंड नैनीडांडा की जनता ने प्रदेश को एक मुख्यमंत्री भी दिया, लेकिन क्षेत्रवासियों की किस्मत नहीं बदल पाई। पूर्व में भी ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए रामनगर व कोटद्वार की दौड़ लगाते थे और आज भी हालत पूर्ववत ही हैं। आलम यह है कि तहसील मुख्यालय धुमाकोट में खुले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में वर्तमान में भले ही दो चिकित्सकों की तैनाती हो, लेकिन फार्मेसिस्ट न होने के कारण मरीजों को दवा लेने के लिए तमाम पापड़ बेलने पड़ते हैं। उधर, ब्लाक मुख्यालय में बना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नैनीडांडा महज रेफर सेंटर से अधिक कुछ नहीं। प्रखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति का अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि गत वर्ष अप्रैल माह में प्रखंड में हुई एक बस दुर्घटना के बाद स्वास्थ्य महकमे ने कोटद्वार से चिकित्सकों को नैनीडांडा भेज खुद की 'इज्जत' बचाने का असफल प्रयास किया था।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नैनीडांडा : एक नजर
तीस बेड वाला नैनीडांडा प्रखंड का एकमात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, बावजूद इसके स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति इस कदर बदहाल है कि मरीज स्वास्थ्य केंद्र की दिशा पकड़ने के बजाय घंटों का सफर तय कर रामनगर अथवा कोटद्वार की ओर जाना अधिक पसंद करता है। कहने को चिकित्सालय में बाल रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ, दंत रोग विशेषज्ञ के पद सृजित हैं, लेकिन वे लंबे समय से रिक्त हैं। इतना ही नहीं, स्टाफ नर्स के तीन, एमओआइसी का एक, एमओआइसी (आयुर्वेद) व वार्डब्वाय सहित लैब टेक्नीशियन, एक्स-रे टेक्नीशियन, आई टेक्नीशियन के पद भी रिक्त चल रहे हैं। हालत यह है कि प्रभारी चिकित्साधिकारी ही पूरे स्वास्थ्य केंद्र को संभाले हुए हैं। इसके अलावा एक अन्य सामान्य चिकित्सक की भी चिकित्सालय में तैनाती है।
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'जनपद में चिकित्सकों की काफी कमी है। किसी तरह व्यवस्था बना काम चल रहा है। जैसे ही नए चिकित्सकों की तैनाती होती है, उन्हें रिक्त पड़े स्वास्थ्य केंद्रों में भेजा जाएगा।
डॉ.मनीष कुमार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, पौड़ी'