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राहगीरों के दुश्मन बने आवारा पशु

जागरण संवाददाता, कोटद्वार : नगर की सड़कों पर आवारा पशु कब किस का काल बन जाएं, कहा नहीं जा सकता। कुछ द

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 01:01 AM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2017 01:01 AM (IST)
राहगीरों के दुश्मन बने आवारा पशु

जागरण संवाददाता, कोटद्वार : नगर की सड़कों पर आवारा पशु कब किस का काल बन जाएं, कहा नहीं जा सकता। कुछ दिन पूर्व जिस तरह आवारा पशु ने एक मासूम पर हमला किया, उसने राहगीरों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दुखद है कि एक दशक बाद भी पालिका-प्रशासन गोवंश संरक्षण अधिनियम को धरातल पर उतारने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं।

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पशु सड़कों पर हैं व गो-संरक्षण अधिनियम सरकारी फाइलों में कैद। कोटद्वार नगर की सड़कों पर घूम रहे पशु पालिका को भले ही न नजर आ रहे हों, लेकिन आम जन के लिए यह बड़ी परेशानी का सबब बन रहे हैं। यह न सिर्फ दुर्घटनाओं का सबब बन रहे हैं, बल्कि यातायात भी बाधित कर रहे हैं।

गोवंश संरक्षण अधिनियम लागू हुए सात वर्ष पूर्ण होने को हैं, लेकिन कोटद्वार क्षेत्र में आज तक यह अधिनियम धरातल पर नहीं उतर पाया है। गोवंश संरक्षण के नाम पर विभिन्न संगठनों की ओर से आवाज तो उठती है, लेकिन धरातल पर कार्य करने वाले कुछ ही नजर आते हैं।

गोवंश संरक्षण अधिनियम : एक नजर

19 जुलाई 2007 को लागू हुए गोवंश संरक्षण अधिनियम में स्पष्ट है कि कोई भी पशुपालक गोवंश को आवारा नहीं छोड़ेगा। साथ ही शहरी क्षेत्रों में गोवंश पालने के लिए नगर के मुख्य नगर अधिकारी/अधिशासी अधिकारी से पंजीकरण प्रमाणपत्र लेना होगा। साथ ही प्रत्येक गोवंश की व्यक्तिगत पहचान भी जरूरी है। नियमों का उल्लंघन करने पर पशुपालक को एक माह तक की सजा अथवा एक हजार रुपये जुर्माना देना होगा।

पशुपालकों को नहीं जानकारी

इसे पालिका-प्रशासन की लचर कार्यशैली ही कहा जाए कि शहरी क्षेत्र अथवा इससे लगे ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों को गो-संरक्षण अधिनियम के संबंध में कोई जानकारी नहीं। नतीजा, पशुपालक मवेशियों को गोशाला से निकाल शहर की ओर हांक देते हैं। गत वर्ष पालिका ने हरिद्वार की एक संस्था के जरिये आवारा मवेशियों को हरिद्वार भेज दिया था। उस दौरान कुछ हफ्तों के लिए नजर की सड़कों से आवारा मवेशी गायब हो गए थे, लेकिन वर्तमान में स्थिति पुन: पूर्ववत हो गई है।

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'सड़कों पर मौजूद पशु वास्तव में खतरा हैं। चुनावी प्रक्रिया संपन्न होने के बाद गोवंश को गोशाला भेजने का कार्य किया जाएगा। साथ ही पशुपालकों को जागरूक करने के लिए भी अभियान चलाया जाएगा।

राकेश तिवारी, उपजिलाधिकारी, कोटद्वार'


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