..तो कट जाएगा पहाड़ का मैदान से संपर्क
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: शनिवार सुबह सुखरो नदी ने नजीबाबाद-कोटद्वार रेल ट्रैक पर बने रेल पुल का एक
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: शनिवार सुबह सुखरो नदी ने नजीबाबाद-कोटद्वार रेल ट्रैक पर बने रेल पुल का एक पिलर धराशायी कर दिया। कहना गलत न होगा कि यदि नदी अपने प्रचंड रूप में आई तो रेल संपर्क के बाद कोटद्वार सहित पूरे गढ़वाल का संपर्क अन्य हिस्सों से कट जाएगा। दरअसल, रेल पुल की बुनियाद हिलाने वाले खननकारियों ने नजीबाबाद-बुआखाल हाईवे पर कोटद्वार-नजीबाबाद के मध्य सुखरो नदी में बने मोटर पुल की बुनियाद भी हिला दी है।
वर्ष 2002 से पूर्व बरसात के मौसम में कोटद्वार-नजीबाबाद के मध्य सड़क मार्ग का सफर काफी मुश्किल था। स्थिति यह थी कि सुखरो नदी के उफान पर होने के कारण कोटद्वार का कई घंटों तक सड़क से संपर्क टूट जाता था। बाद में तत्कालीन सड़क एवं भूतल परिवहन (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री बीसी खंडूड़ी ने राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग से सुखरो नदी में पुल स्वीकृत करवाया व वर्ष 2002 में इस पुल का लोकार्पण किया गया। पुल निर्माण के बाद लोगों को सुखरो के कहर से निजात मिली, लेकिन निर्माण के करीब डेढ़ दशक बाद इस पुल पर खतरा मंडराने लगा है। गढ़वाल सीमा से सटे बिजनौर जनपद में सुखरो नदी में बड़े पैमाने पर हुए अवैध खनन के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। खननकारियों ने पोकलैंड मशीन के जरिये सुखरो नदी में बने मोटर पुल व रेल पुल की बुनियादें खोद डाली। नतीजा, क्षेत्र में करीब आठ-नौ घंटे की मूसलाधार बारिश से उफान पर आई सुखरो नदी ने रेल पुल का एक पिलर धराशायी कर दिया। आशंका है कि सुखरो नदी के तेज वेग धारण करने पर मोटर पुल के पिलरों भी ध्वस्त हो जाएंगे। भविष्य में कोई हादसा न हो इसके लिए बिजनौर जिला प्रशासन को खतरे की जद में आए पुल की सुरक्षा के लिए ठोस उपाय करने होंगे।