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श्रीनगर की प्राचीन व समृद्ध इतिहास की दी जानकारी

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: संस्कृति के संरक्षण संव‌र्द्धन को लेकर विद्या भारती के तत्वावधान मे

By Edited By: Published: Sun, 24 Jul 2016 06:44 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jul 2016 06:44 PM (IST)

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: संस्कृति के संरक्षण संव‌र्द्धन को लेकर विद्या भारती के तत्वावधान में विद्या मंदिर इंटर कॉलेज श्रीकोट गंगनाली में दो दिवसीय कार्यशाला में श्रीनगर की प्राचीन समृद्ध संस्कृति की जानकारी दी गई। वक्ताओं ने कहा कि प्राचीन संस्कृति समाज की अमूल्य धरोहर भी होती है। संस्कृति से ही समाज को पहचान भी मिलती है।

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रविवार को कार्यशाला के समापन पर नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष कृष्णानंद मैठाणी ने श्रीनगर क्षेत्र की प्राचीन समृद्ध संस्कृति की विस्तार से जानकारी दी। लगभग सवा सौ साल पुरानी श्रीनगर रामलीला के बारे में ऐतिहासिक तथ्यों पर भी उन्होंने प्रकाश डाला। कृष्णानंद मैठाणी ने कहा कि श्रीनगर की बैठक होली और पहाड़ की संस्कृति पर आधारित नाटक हमारी संस्कृति को जीवंत बनाए रखती है। रंगकर्मी विमल बहुगुणा ने नाटक की विभिन्न विधाओं के बारे में बताया। हेमंत उनियाल, जयकृष्ण पैन्यूली, गोकर्ण बमराड़ा, पीयूष धस्माना रंगकर्मियों ने वाद्य यंत्रों के साथ नंदा देवी राजजात गीतों के महत्वपूर्ण पक्षों पर प्रकाश डाला। गढ़वाल विवि के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. राजाराम नौटियाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि समृद्ध भारतीय संस्कृति ही हमारी पहचान है। वहीं कार्यक्रम में छात्र शुभम प्रभाकर और उनके साथियों ने शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति दी। डॉ. सुभाष पांडे ने चौंफला, झुमेलो, रवाईं आदि गीतों पर चर्चा की। विद्या मंदिर के प्राचार्य लोकेंद्र अंथवाल ने संस्कृति के संरक्षण और संव‌र्द्धन को लेकर सभी को आगे आने को कहा।


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