पलायन पर छलकी 'गरीब' की पीड़ा
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: चकबंदी आंदोलन के प्रणेता गणेश ¨सह 'गरीब' ने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों म
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: चकबंदी आंदोलन के प्रणेता गणेश ¨सह 'गरीब' ने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में तेजी से हो रहे पलायन को सबसे बड़ी पीड़ा बताया। उन्होंने कहा कि राज्य गठन के सोलह वर्ष बीतने के बाद भी पर्वतीय क्षेत्रों की स्थिति नहीं सुधरना, राजनीतिक पार्टियों की नाकामी का सबूत है।
रविवार को ¨हदू पंचायती धर्मशाला में आयोजित गोष्ठी में समाजसेवी एवं बुद्धिजीवियों ने पर्वतीय क्षेत्रों में हो रहे पलायन पर गहरी ¨चता व्यक्त की। चकबंदी आंदोलन के प्रेरणा स्त्रोत गणेश ¨सह 'गरीब' ने कहा कि किसान को खेती करने के लिये बुनियादी सुविधाएं तक नहीं दी जाती हैं, वहीं उसे उत्पाद का उचित मूल्य भी नहीं मिल पाता। जंगली जानवर किसान की खेती को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में पलायन मजबूरी बना हुआ है। उन्होंने कहा कि समय आ चुका है कि प्रदेश सरकार प्रदेश में पंचायती राज कानून लागू करे, ताकि ग्राम सभाओं को अपने निर्णय स्वयं लेने का अधिकार मिल सके। समाजसेवी परमानंद बलोदी ने कहा कि हर कोई गोष्ठी आयोजित करके पहाड़ में हो रहे पलायन पर दुख व्यक्त कर रहा है, लेकिन धरातल पर परिवर्तन लाने के लिये प्रयास कम ही लोग करते हैं। उन्होंने पहाड़ में बचे हुये परिवारों को बेहतर सुविधा व सुरक्षा का माहौल शीघ्र उपलब्ध कराये जाने पर जोर दिया, ताकि पहाड़ों को वीरान होने से बचाया जा सके। इस अवसर पर र¨वद्र कोठियाल, कैप्टन पीएल खंतवाल, गो¨वद डंडरियाल आदि उपस्थित रहे।