कण्वाश्रम झील को केंद्र की हां का इंतजार
जागरण संवाददाता, कोटद्वार : केंद्र ने हरी झंडी दिखा दी तो बसंत पंचमी के पावन मौके पर ऐतिहासिक कण्वाश
जागरण संवाददाता, कोटद्वार : केंद्र ने हरी झंडी दिखा दी तो बसंत पंचमी के पावन मौके पर ऐतिहासिक कण्वाश्रम में मालन नदी पर झील निर्माण की नींव डाल दी जाएगी। दरअसल, पर्यटन विभाग ने कण्वाश्रम में झील निर्माण के लिए वन महकमे से 3.074 हेक्टेयर भूमि की मांग की थी, जिसके बाद लैंसडौन वन प्रभाग ने शासन के जरिये पर्यटन विभाग के इस प्रस्ताव को केंद्र में भेज दिया है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद ही भूमि पर्यटन विभाग के सुपुर्द हो पाएगी।
ऐतिहासिक कण्वाश्रम का भविष्य अब पूरी तरह केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के हाथ में है। जनवरी में कण्वाश्रम में आयोजित बसंतोत्सव समारोह में पहुंचे प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कण्वाश्रम में मालन नदी पर झील निर्माण की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री की घोषणा होते ही प्रशासन ने कण्वाश्रम क्षेत्र में ही झील निर्माण के लिए 3.074 हेक्टेयर भूमि चयनित तो कर दी, लेकिन भूमि हस्तांतरण में वन कानून आड़े आ गए।
पर्यटन विभाग की ओर से इस संबंध में लैंसडौन वन प्रभाग को एक प्रस्ताव दिया गया, जिसे प्रभागीय वनाधिकारी नीतीश मणि त्रिपाठी ने शासन में भेज दिया व शासन से यह फाइल केंद्र में भी पहुंच गई। सूत्रों की माने तो केंद्र ने फाइल में 15 आपत्तियां दर्ज की, जिन्हें जनवरी माह के अंत में लैंसडौन वन प्रभाग की ओर से निस्तारित कर दिया। आपत्तियां निस्तारित होने के बाद फाइल पुन: केंद्र में भेज दी गई है। अब भूमि हस्तांतरण के संबंध में अंतिम निर्णय केंद्र की ओर से होना है।
जुआ में दी गई है भूमि
वन विभाग की ओर से कण्वाश्रम में जो 3.074 हेक्टेयर भूमि पर्यटन विभाग को दी जानी है, उसके एवज में प्रशासन ने वन विभाग को कोटद्वार तहसील क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम जुआ में 6.148 हेक्टेयर भूमि दी गई। वन महकमे की ओर से इस भूमि पर वनीकरण को हरी झंडी दिखा दी गई है।
15 करोड़ का प्रस्ताव
पर्यटन विभाग मालन नदी में झील का निर्माण का कार्य ¨सचाई विभाग के कोटद्वार खंड के जरिये कराएगा। ¨सचाई विभाग ने झील निर्माण के लिए 15 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया है। उक्त धनराशि से झील निर्माण के साथ ही इसके चारों ओर रास्ते, कैंटीन व पार्किंग स्थल निर्माण प्रस्तावित है।
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'कण्वाश्रम में झील निर्माण के लिए केंद्र में फाइल भेजी गई है। केंद्र से स्वीकृति मिलते ही भूमि पर्यटन विभाग को हस्तांतरित कर दी जाएगी। ..नीतिश मणि त्रिपाठी, प्रभागीय वनाधिकारी, लैंसडौन वन प्रभाग'