संस्कृत उद्घोष से गुंजायमान हुआ श्रीनगर
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल : संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार करने और आम जनता को संस्कृत के प्रत
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल :
संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार करने और आम जनता को संस्कृत के प्रति जागरूक करने को लेकर उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के तत्वावधान में शुक्रवार को श्रीनगर में विशाल संस्कृत शोभायात्रा का आयोजन किया गया। श्रीनगर के जीआइटीआइ मैदान से शुरू हुई शोभायात्रा में 12 विद्यालयों के दो हजार से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लेते हुए पूरे श्रीनगर में संस्कृत को गुंजायमान कर दिया।
नगरपालिका अध्यक्ष के साथ ही संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष, सचिव स्वयं संस्कृत शोभायात्रा का नेतृत्व कर रहे थे। संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत संस्कृत अकादमी की ओर से यह आयोजन किया गया। श्रीनगर के जीआइटीआइ मैदान में आयोजित एक भव्य व गरिमामय समारोह में नगरपालिका अध्यक्ष विपिन मैठाणी ने विशाल संस्कृत शोभायात्रा का शुभारंभ कराया। संस्कृत नमो नमो सहित संस्कृत भाषा का जयघोष करते हुए यह शोभायात्रा जीआइटीआइ मैदान से शुरू होकर शहर के सभी प्रमुख मार्गो से होते हुए वापस जीआइटीआइ मैदान पहुंची। जयदयाल अग्रवाल संस्कृत महाविद्यालय श्रीनगर और विद्या मंदिर इंटर कॉलेज श्रीकोट की भारतीय संस्कृति को परिलीक्षित करती झांकियां शोभायात्रा में आकर्षण का केंद्र भी बनी रहीं।
जीआइटीआइ मैदान में छात्र-छात्राओं और अतिथियों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि नगरपालिका अध्यक्ष विपिन चंद्र मैठाणी ने संस्कृत अकादमी की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि प्राचीन और समृद्ध संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार जरूरी है। हमारी संस्कृति और ज्ञान संपदा की जननी भी संस्कृत है। संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ. सुरेश चंद्र बहुगुणा ने कहा कि उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा संस्कृत में ही हमारी ज्ञान संपदा का ज्योतिष वास्तु, योग और खगोल शास्त्र जैसे विषय भी शामिल हैं। शोभायात्रा के सफल आयोजन के लिए डॉ. सुरेश बहुगुणा ने विद्यालयों के शिक्षकों और क्षेत्र की जनता का आभार भी व्यक्त किया। अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. श्रीकृष्ण सेमवाल ने कहा कि संस्कृत वर्तमान में विश्व की आवश्यकता बनती जा रही है। डॉ. हरीश चंद्र गुरुरानी ने कार्यक्रम का संचालन किया। क्षेत्र पंचायत श्रीकोट के पूर्व सदस्य पंडित विभोर बहुगुणा, जीजीआइसी की प्रधानाचार्या विमला कंडारी, संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य जगदीश सकलानी, राइंका के प्रधानाचार्य राम सिंह कठैत, किशोरीलाल रतूड़ी, राधेश्याम, सुनील फोंदड़ी, द्वारिका कपरवाण, नरेश पेटवाल, गिरीश डिमरी ने इस बड़े आयोजन को सफल बनाने में विशेष सहयोग दिया।