पुलिंडा विस्थापन को भूगर्भ वैज्ञानिकों ने किया सर्वे
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: विस्थापन का दर्द झेल रहे पुलिंडा गांव को लैंसडौन वन प्रभाग की लालढांग रें
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: विस्थापन का दर्द झेल रहे पुलिंडा गांव को लैंसडौन वन प्रभाग की लालढांग रेंज के अंतर्गत पापीडांडा खाम में विस्थापित करने की तैयारी है। ग्राम पुलिंडा के वाशिंदे वर्ष 1971 से भूस्खलन का दंश झेल रहे हैं। ग्रामीणों की प्रत्येक बरसात आंखों-आंखों में कटती है। विस्थापन की मांग को लेकर ग्रामीण कई मर्तबा आंदोलन भी कर चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें महज कोरे आश्वासन ही मिलते हैं।
वर्ष 1996 में भू-वैज्ञानिकों की टीम ने गांव का सर्वे कर पहली बार उसे अन्यत्र विस्थापित करने की संस्तुति की, लेकिन स्थिति जस की तस रही। राज्य गठन के बाद पुन: भूवैज्ञानिकों ने गांव का सर्वे किया। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर शासन ने 27 सितंबर 2006 को गांव को पापीडांडा खाम में विस्थापित करने की संस्तुति की। करीब एक दशक बाद शासन स्तर से गांव के विस्थापन की प्रक्रिया भी तेजी आई है।
शासन के निर्देश पर पिछले दिनों भूगर्भ वैज्ञानिकों की टीम ने पुलिंडा व पापीडांडा खाम का स्थलीय निरीक्षण किया। टीम का नेतृत्व कर रहे भू विज्ञानी वाईएस सजवाण ने बताया कि पुलिंडा गांव में भूस्खलन का खतरा काफी अधिक है। इस कारण गांव को अन्यत्र विस्थापित किया जाना जरुरी है। बताया कि पापीडांडा खाम के पिछले कुछ वर्षो के सैटेलाइट मैप का अध्ययन किया जा रहा है, ताकि इस स्थल की भूगर्भीय गतिविधि का आकलन किया जा सके। उन्होंने बताया कि सेटेलाइट मैप के अध्ययन के बाद रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।