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गिवई पहाड़ी में 'थ्रस्ट', जांच जारी

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: गिवई पहाड़ी में हो रही भूगर्भीय हलचल कोटद्वार क्षेत्र में कभी भी बड़े हादसे

By Edited By: Published: Sun, 24 May 2015 08:28 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2015 08:28 PM (IST)
गिवई पहाड़ी में 'थ्रस्ट', जांच जारी

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: गिवई पहाड़ी में हो रही भूगर्भीय हलचल कोटद्वार क्षेत्र में कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकती है। गिवई पहाड़ी की वर्तमान स्थिति के मद्देनजर अब भूगर्भ वैज्ञानिक पहाड़ी के पिछले दो-तीन दशकों के रेकार्ड को खंगालने में जुट गए हैं।

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बताते चलें कि फरवरी में गिवईं पहाड़ी के दरकने का सिलसिला शुरू हुआ। पहाड़ी के दरकने से नदी का स्तर भी उठ गया है। आलम यह था कि नदी का एक हिस्से जहां लगातार ऊपर उठ रहा था, वहां पहाड़ी में बोल्डरों पर भी दरारें पड़ गई थी। प्रशासन ने मौका मुआयना किया व मामले की गंभीरता को देखते हुए भूगर्भ विभाग को गिवई पहाड़ी का सर्वे करने के लिए पत्र भेज दिया। प्रशासन की ओर से भेजे गए पत्र के आधार पर भू विज्ञानियों के एक दल ने कोटद्वार पहुंच गिवई गदेरे का मौका मुआयना किया। टीम ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर दी है, जिसे जल्द ही स्थानीय प्रशासन को भेजा जाएगा। टीम सेटेलाइट की मदद से गिवई पहाड़ी में पिछले दो दशकों में हुए बदलाव पर भी अध्ययन कर रही है।

दरार परेशानी का सबब

गिवई पहाड़ी का निरीक्षण करने पहुंची टीम पहाड़ी की तलहटी में मौजूद दरार से अधिक चिंतित है। वैज्ञानिक भाषा में इन दरारों को 'थ्रस्ट' कहा जाता है। माना जाता है कि इन दरारों में होने वाले हरकतों से धरती खिसकती है, सरकती है, आगे बढ़ती है व विस्थापित होती है। इन दरारों के कारण चट्टान भी काफी कमजोर हो जाती है व हल्की बारिश से ही वे दरकने लगती हैं। भारी जल बहाव के दौरान पानी इन चट्टानों में समा जाता है, जिससे धरती के भीतर नुकसान होता है। टीम भी इस बात को मान रही है कि थ्रष्ट के कारण ही गिवईं पहाड़ी में हलचल हुई, जिससे नदी का एक हिस्सा ऊपर को उठ गया।

..तो मचेगी तबाही

फरवरी माह में हुई बारिश से जिस तरह गिवई पहाड़ी में परिवर्तन हुए हैं, उसे देख बरसात में इस पहाड़ी से लगे गदेरे से भारी तबाही तय है। बताना जरूरी है कि गिवई गदेरे के दोनों ओर काफी आबादी वाला क्षेत्र है। साथ ही गदेरा खोह नदी में मिलता है।

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गिवई पहाड़ी की तलहटी में मौजूद थ्रस्ट के कारण पहाड़ी में हलचल हो रही है। पहाड़ी के पिछले दो दशकों की स्थिति का आकलन करने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।

वाईएस सजवाण, भूगर्भ शास्त्री, भूगर्भ विभाग


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