और आंधी में उड़ गए सपने
संवाद सहयोगी, कोटद्वार : तीस अप्रैल की रात करीब चार घंटे तक रुक-रुक कर आए तूफान ने उन लघु व्यवसायियो
संवाद सहयोगी, कोटद्वार : तीस अप्रैल की रात करीब चार घंटे तक रुक-रुक कर आए तूफान ने उन लघु व्यवसायियों के सपनों पर पानी फेर दिया, जो आम-कटहल की अच्छी पैदावार देख बड़े पैमाने पर अचार बना आर्थिकी सुदृढ़ करने के सपने संजोए हुए थे।
गत तीस अप्रैल की रात आई आंधी से आम-कटहल की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। फसल बर्बाद होने का सबसे अधिक नुकसान उन व्यवसायियों को उठाना पड़ रहा है, जो इस सीजन में अचार का कारोबार करते हैं। आंकड़ों की बात करें तो उद्यान विभाग ही आम के सीजन में 12 सौ किलोग्राम अचार बनाता है, जबकि क्षेत्र की कई निजी संस्थाएं विभाग से कहीं अधिक मात्रा में अचार का उत्पादन करती हैं। अचार का उत्पादन करने वाली संस्थाएं क्षेत्र से ही आम-कटहल की खरीद करती हैं व अचार बनाकर बेचती हैं। आम-कटहल की फसल बर्बाद होने से अब इन्हें चिंता सताने लगी है।
उधर, उद्यान विभाग भी आम व कटहल की फसल बर्बाद होने से चिंतित है। दरअसल, विभाग की फल प्रसंस्करण इकाई प्रतिवर्ष विभिन्न तरह के अचार बनाने का प्रशिक्षण देती है। आंधी से फसल बर्बाद होने के कारण अब इकाई के समक्ष लक्ष्य पूर्ण कर पाना बड़ी चुनौती बन गया है।
महंगाई की मार भी पड़ेगी
आम व कटहल का सीजन शुरू होते ही बाजार में कच्चा आम खरीदने वालों का भी जमावड़ा लगा रहता था, लेकिन इस वर्ष आंधी ने कच्चे आम बेचने वालों व सस्ती दरों पर अचार बनाने वालों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। दरअसल, बाजार में लोगों को आम का अचार प्रति किलोग्राम 80 से 90 रुपये की दर से मिलता है। जबकि लोग 10 से 15 रुपये प्रति किलो आम खरीद कर अपनी इच्छा अनुसार 40 से 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से आम का अचार बनवा लेते थे।