सीबीसीआइडी ने खंगाले विवि में कागजात
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: गढ़वाल विश्वविद्यालय में कर्मचारियों, अधिकारियों व संस्थाओं को हुए
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: गढ़वाल विश्वविद्यालय में कर्मचारियों, अधिकारियों व संस्थाओं को हुए करोड़ों के अग्रिम भुगतान का हिसाब न होने के मामले में जांच कर रही सीबीसीआइडी टीम ने विवि में संबंधित कागजों की जांच की। कुलसचिव और वित्त अधिकारी से अग्रिम धनराशि लेने और उसके समायोजन की प्रक्रिया के बारे में भी टीम ने विस्तार से जानकारियां ली गई।
मामला 1974-75 से वर्ष 2003 के बीच का है। जब विभिन्न कार्यो के लिए गढ़वाल विश्वविद्यालय के अधिकारियों, कर्मचारियों व विभिन्न संस्थाओं के नाम पर अग्रिम धनराशि के रूप में एक करोड़ 62 लाख रुपए विवि कोष से निकाले गए। ऑडिट के बाद यह धनराशि लगभग तीन करोड़ तक पहुंच गई है। आरोप है कि अग्रिम ली गई धनराशि का समायोजन नहीं किया गया जिस कारण विवि को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा।
वर्ष 2007 में तत्कालीन कुलसचिव सीएस मेहता ने एक एडवांस प्रकरण का समायोजन नहीं देने पर विवि कर्मचारी वीरेंद्र रावत के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिस पर विवि कर्मचारी संतोष ममगांई ने विवि से लिए गए एडवांस और समायोजन के कई मामलों को लेकर श्रीनगर थाने में एफआइआर दर्ज कराई। पुलिस ने जांच सीबीसीआइडी को दे दी। वर्ष 2009 से 2011 में मामले को लेकर फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई, जिस पर आपत्ति दर्ज करते हुए संतोष ममगांई ने मुंसिफ कोर्ट श्रीनगर में दोबारा वाद दायर किया। इसके बाद मामले की फिर से सीबीसीआइडी को जांच नवंबर 2014 में दिए थे।
फर्जी बिल मामले की भी जांच
वर्ष 2009 में गढ़वाल विश्वविद्यालय में वाहनों के फर्जी बिलों पर 35 लाख रुपए के भुगतान के मामले की भी जांच पुलिस कर रही है। जांच अधिकारी और श्रीकोट गंगानाली पुलिस चौकी प्रभारी रविंद्र सिंह नेगी ने विश्वविद्यालय पहुंचकर इस मामले को लेकर जानकारियां जुटाई।