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शिक्षक नदारद, उच्चीकरण पर जोर

जागरण संवाददाता, पौड़ी : सरकारी स्कूलों में बदहाल शिक्षा व्यवस्था से घट रही छात्र संख्या को बढ़ाने मे

By Edited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 01:03 AM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 01:03 AM (IST)
शिक्षक नदारद, उच्चीकरण पर जोर

जागरण संवाददाता, पौड़ी : सरकारी स्कूलों में बदहाल शिक्षा व्यवस्था से घट रही छात्र संख्या को बढ़ाने में शिक्षा विभाग नाकामयाब साबित हो रहा है। लेकिन, वाहवाही लूटने के लिए विद्यालयों को उच्चीकृत करने पर विभाग का जोर जरूर है, भले ही इन उच्चीकृत विद्यालयों में छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षक न हो। फिलवक्त गढ़वाल मंडल में तीन वर्ष पूर्व उच्चीकृत हुए विद्यालयों को देखकर तो यही लगता है, जहां उच्चीकृत हुई कक्षाओं में छात्रों ने प्रवेश तो लिया। लेकिन, पद सृजित न होने के कारण आज तक शिक्षकों की तैनाती नहीं हो पाई है।

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सरकार ने वर्ष 2011 में कई जूनियर हाईस्कूल को हाईस्कूल व हाईस्कूल को उच्चीकृत कर इंटरमीडिएट का दर्जा दिया। गढ़वाल मंडल के पांच पर्वतीय जनपदों के 33 विद्यालयों को इसमें शामिल कर उच्चीकृत कर दिया गया। तब सरकार के इस निर्णय से छात्रों को ही नहीं बल्कि उनके अभिभावकों को भी उम्मीद जगी कि अब उनके पाल्यों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए अन्यत्र नहीं जाना पडे़गा। व्यवस्था की गई कि जब तक इन विद्यालयों में शिक्षकों के पद सृजित नहीं किए जाते तब तक निचली कक्षाओं के शिक्षक ही इन कक्षाओं में पठन-पाठन कार्य करवाएंगे। तब से तीन वर्ष हो गए हैं, लेकिन अभी तक उच्चीकृत हुए इन विद्यालयों में शिक्षकों के पद ही सृजित नहीं किए गए हैं। ऐसे में विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं जुगाड़ के भरोसे जिंदगी जीने की सीख ले ही रहे हैं।

गढ़वाल मंडल में उच्चीकृत हुए विद्यालय :

चमोली-नौ, रुद्रप्रयाग- दस, पौड़ी- छह, टिहरी- छह, उत्तरकाशी- दो

प्रवक्ताओं की कमी से जूझ रहे विद्यालय :

पौड़ी जनपद का जीआइसी कंडारा प्रवक्ताओं की कमी से जूझ रहा है। करीब 218 छात्र-छात्राओं वाले इस विद्यालय में भौतिक, रसायन, जीव विज्ञान, भूगोल व संस्कृत जैसे विषयों में लंबे समय से प्रवक्ताओं के पद रिक्त चल रहे हैं। खुद विद्यालय प्रबंधन भी मान रहा है कि विद्यालय में प्रवक्ताओं की कमी को लेकर विभागीय अधिकारियों को रिपोर्ट तो दी जाती है, लेकिन अभी तक कोई नहीं आया।

सरकार को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। ये गंभीर मुद्दा है। विद्यालयों को उच्चीकृत तो कर दिया, लेकिन शिक्षकों के पदों का सृजन न किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। जाहिर सी बात है कि इससे ऐसे विद्यालयों के पठन-पाठन पर प्रभाव पडे़गा। यह भी एक कारण है कि सरकारों के ऐसे रवैये से ही सरकारी विद्यालयों में छात्र संख्या घट रही है।

उमाचरण बड़थ्वाल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य पौड़ी

जनपद में जो विद्यालय उच्चीकृत हुए थे उनमें अभी तक शिक्षकों के पद सृजित नहीं हुए हैं। यह शासन स्तर का मामला है। फिलहाल ऐसे विद्यालयों में शिक्षण कार्य प्रभावित न हो इसके लिए पूरी व्यवस्था की गई है।

हरेराम यादव, डीईओ माध्यमिक, पौड़ी गढ़वाल


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