वाहनों की ओवरस्पीड मापने में भी लाचार
संवाद सहयोगी, पौड़ी: पहाड़ों में तेज रफ्तार और खराब सड़कें दुर्घटनाओं की एक मुख्य वजह है। वाहनों की रफ्
संवाद सहयोगी, पौड़ी: पहाड़ों में तेज रफ्तार और खराब सड़कें दुर्घटनाओं की एक मुख्य वजह है। वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए सड़क परिवहन व पुलिस के प्रयास भी सीमित ही हैं। यही कारण है कि छोटे मोटर मार्गो के साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी वाहनों की रफ्तार तय मानकों से अधिक ही होती है। पर विभागों के पास ओवरस्पीड़ नापने के उपकरण तक मौजूद नहीं है।
पहाड़ों की सर्पीली सड़कों पर हुई दुर्घटनाओं के लिए शराब पीकर वाहन चलाना, तेज रफ्तार को अधिक जिम्मेदार माना जाता है। जब भी सड़क हादसे होते हैं तो अधिकतर की वजह ओवरस्पीड व ओवर लोडिंग ही सामने आती है। दुर्घटना के कुछ दिनों तक तो विभाग चौकसी बरतते हैं पर कुछ दिनों बाद स्थिति पहले जैसी ही हो जाती है। पौड़ी शहर में भी तेज रफ्तार दुपहिया व चौपहिया कोई नई बात नहीं है। तमाम जागरुकता अभियान भी ऐसे लोगों में यातायात नियमों की समझ विकसित नहीं कर पाते।
सड़क सुरक्षा के मंत्र
-गति पर नियंत्रण रखें
-पहाड़ों में गति 20 से 30 किमी प्रति घंटे से अधिक ना हो
-वाहन ओवरलोड़ न हो
-नशे की हालत में वाहन न चलाएं
-गलत दिशा से ओवरटेक कभी न करें
-मोड़ों पर हार्न दें
-बगैर लाइसेंस वाहन न चलाएं
यह है स्थिति
-गति नापने की राडारगन- नहीं है
-शराब जांचने का एल्कोमीटर- नहीं है
-धुआं नापने का स्मोकोमीटर- नहीं है
नहीं हैं एआरटीओ प्रवर्तन
यूं तो सड़क पर निरीक्षण का पूरा दारोमदार सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रवर्तन के जिम्मे होता है। पर पौड़ी के परिवहन कार्यालय में यह पद लंबे समय से रिक्त चल रहा है।
बेहाल हैं संकेत चिह्न
सड़कों पर लगे संकेतकों की स्थिति भी ठीक नहीं हैं। तीव्र मोड़, दुर्घटना क्षेत्र, पाला क्षेत्र जैसे संकेतक लोगों के पढ़ने में भी नहीं आते। परिवहन विभाग का कहना है यह जिम्मा लोनिवि का है।
संसाधनों की कमी एक बड़ी समस्या है। ऐसे में चुनौती और बढ़ जाती है। पूरी कोशिश के साथ जितना संभव होता है सुरक्षित यातायात के लिए पुलिस प्रयास होते हैं।
गणेश बंडवाल, टीएसआइ यातायात पुलिस
अधिकारियों को समय समय पर निरीक्षण के निर्देश दिए गए हैं। संसाधनों की कमी पूरी करने के लिए शासन को लिखा गया है।
सुधांशू गर्ग, संभागीय सड़क परिवहन अधिकारी, गढ़वाल मंडल