जिम्मेदारियां बड़ी, निवाला छोटा
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: ड्यूटी चाहे चुनाव हो या यातायात नियंत्रण पुलिस के साथ कंधा से कंधा लगाए स
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: ड्यूटी चाहे चुनाव हो या यातायात नियंत्रण पुलिस के साथ कंधा से कंधा लगाए साथ निभाते हाथ में एक डंडा लिए खाकी वर्दी में होमगार्ड कर्मी हर जगह नजर आएगा। दुर्भाग्य इस बात का है कि पूरी जिम्मेदारी के साथ कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले इन होमगार्ड कर्मियों के मुंह से कब निवाला छिन जाए, कहा नहीं जा सकता।
कोटद्वार क्षेत्र की बात करें तो वर्तमान में क्षेत्र में होमगार्ड की तीन प्लाटून कार्यरत हैं। इनमें 73 जवान हैं। इसे सौभाग्य ही कहा जाए कि पिछले कई वर्षो में यह पहला मौका है, जब छह दिसंबर को होमगार्ड दिवस के दिन होमगार्ड कर्मी घरों में नहीं बैठे रहेंगे।
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चार धाम पर निर्भर डयूटी
होमगार्ड कर्मी की डयूटी पूरी तरह चारधाम यात्रा पर निर्भर रहती है। मई माह में चार धाम के कपाट खुलते हैं। इससे पूर्व ही मार्च-अप्रैल में होमगार्ड कर्मियों को डयूटी पर ले लिया जाता है। अक्टूबर-नवंबर माह में कपाट बंद होने के साथ ही इन्हें डयूटी से हटा दिया जाता है। नवंबर से अप्रैल तक गिने-चुने होमगार्ड कर्मियों को ही डयूटी मिलती है। जिन होमगार्ड कर्मियों को हटाया जाता है, उन्होंने इस दौरान मानदेय भी नहीं मिलता था। नतीजा, होमगार्ड कर्मी को परिवार पालना भारी पड़ जाता था। राहत की बात यह है कि इस बार आफ सीजन में कर्मियों हो नहीं हटाया गया।
युवाओं का हो रहा मोहभंग
नियमित ड्यूटी न मिलने के साथ ही उचित मानदेय न मिलने के कारण युवाओं का होमगार्ड की सेवा से विश्वास उठता जा रहा है। शायद यही कारण है कि वर्तमान में होमगार्ड की प्लाटून में तय सीमा के जवान नहीं आ रहे। कोटद्वार क्षेत्र की बात करें तो क्षेत्र में कोटद्वार प्लाटून में 28, दुगड्डा प्लाटून में 25 व द्वारीखाल प्लाटून में 20 जवान तैनात हैं। नियमानुसार, प्रत्येक प्लाटून में 33 जवान होने चाहिए। मानदेय की बात करें तो वर्तमान में होमगार्ड कर्मी को 250 रुपये प्रतिदिन का मानदेय मिल रहा है। साथ ही अवकाश के दिन यह मानदेय नहीं दिया जाता। इतना ही नहीं, होमगार्ड कर्मी के लिए सप्ताह में कोई अवकाश नहीं होता।
मामूली ट्रेनिंग, जिम्मेदारियां बड़ी
होमगार्ड कर्मी के कंधों पर बोझ भले ही बड़े रहते हों, लेकिन ट्रेनिंग के नाम इन्हें महज 42 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है। इस ट्रेनिंग के बाद इन्हें एक डंडा थमा अलग-अलग जगह तैनात कर दिया जाता है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि राज्य गठन से पूर्व होमगार्ड ट्रेनिंग के दौरान बंदूक चलाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता था, लेकिन राज्य गठन के बाद यह प्रशिक्षण भी बंद हो गया है।
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'शासन स्तर पर होमगार्ड कर्मियों की बेहतरी के लिए ठोस योजनाएं बनाई जा रही हैं। संभावना है कि अगले वित्तीय वर्ष में मानदेय भी बढ़ जाए। शासन का प्रयास यही है कि होमगार्ड की नीतियों में व्यापक सुधार कर युवाओं को होमगार्ड की ओर आकर्षित किया जाए।
गौतम कुमार, कमांडेंट, होमगार्ड, पौड़ी