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बिना सम्बद्धता विवि नहीं कराएगा परीक्षा

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: गढ़वाल विश्वविद्यालय बिना सम्बद्धता के अब किसी भी शिक्षण संस्थान की

By Edited By: Published: Thu, 13 Nov 2014 09:41 PM (IST)Updated: Thu, 13 Nov 2014 09:41 PM (IST)

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: गढ़वाल विश्वविद्यालय बिना सम्बद्धता के अब किसी भी शिक्षण संस्थान की परीक्षा नहीं लेगा। सम्बद्ध संस्थानों की सम्बद्धता का समय से विस्तारीकरण होना भी जरूरी है। उच्च न्यायालय नैनीताल के इस संबंध में निर्णय के बाद 11 पैरामेडिकल संस्थान इसकी जद में आ गए हैं जो अधिकांशत: देहरादून में संचालित हैं। गढ़वाल विवि अब तक इन संस्थानों की परीक्षाएं करा रहा था, जबकि इन संस्थानों की गढ़वाल विवि से सम्बद्धता 2005-06 के बाद से हुई ही नहीं है। इससे पूर्व यह पैरामेडिकल संस्थान मेरठ विवि से सम्बद्ध थे।

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गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एलजे सिंह ने गुरुवार अपराह्न में पत्रकारों से बातचीत में पैरामेडिकल संस्थानों को लेकर विश्वविद्यालय की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि दौलतराम सेमवाल की याचिका पर उच्च न्यायालय के निर्णय को ध्यान में रख इन संस्थानों के प्रथम वर्ष के छात्रों की परीक्षा भी गढ़वाल विवि ने नहीं ली। कुलपति ने कहा कि इन संस्थानों में जो छात्र द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ वर्ष में अध्ययनरत हैं, उनकी परीक्षाएं दिसम्बर माह में करायी जाएंगी क्योंकि इनकी पूर्व की परीक्षाएं गढ़वाल विवि ने ही ली थीं।

कुलसचिव प्रो. पीएस राणा ने पत्रकार वार्ता में कहा कि गढ़वाल विवि की ओर से उच्च न्यायालय नैनीताल में उन्होंने शपथ पत्र देते हुए कहा है कि सत्र 2014-15 से कक्षाओं में निर्धारित सीटों पर ही प्रवेश दिए जाएंगे और जिन संस्थानों की सम्बद्धता विवि से होगी उन्हीं की परीक्षा करायी जाएगी और 180 दिन पढ़ाई भी सुनिश्चित होगी। इस स्थिति में अब बिना सम्बद्धता के पैरामेडिकल संस्थानों के प्रथम वर्ष के छात्रों की परीक्षा करा पाना संभव नहीं है। पत्रकारों से बातचीत में यह भी स्पष्ट हुआ कि प्रदेश में पैरामेडिकल काउंसिल का गठन नहीं होने से इन पैरामेडिकल संस्थानों को सरकार से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेकर गढ़वाल विवि में सम्बद्धता को लेकर आवेदन करना था पर यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई।

सरकार की हीलाहवाली भी कारण बनी

प्रदेश के 11 मेडिकल संस्थानों को अनापत्ति प्रमाणपत्र देने और गढ़वाल विवि से सम्बद्धता का निस्तारण शीघ्र करवाने के बजाय शासन से हर वर्ष परीक्षा करा लेने के लिखित निर्देश ही गढ़वाल विवि प्रशासन को मिलते रहे। 2010 में भी तत्कालीन उच्च शिक्षा सचिव ने गढ़वाल विवि को ही परीक्षा करा लेने के निर्देश देने के साथ ही कहा कि अगले वर्ष से उत्तराखंड तकनीकी विवि इन परीक्षाओं को कराएगा। लेकिन स्थिति नहीं बदली और 2011 में भी गढ़वाल विवि को ही परीक्षा करा लेने के निर्देश दे दिए गए।


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