राज्य में पेयजल संकट
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: जलसंस्थान की लापरवाही के चलते एक सप्ताह से पेयजल संकट से जूझ रहे लोगों को सोमवार को भी पानी नसीब नहीं हो पाया। साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर बरती गई कोताही के चलते हजारों की आबादी को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ा।
नगर क्षेत्र के अंतर्गत करीब तीस हजार की आबादी वाले लोअर कालाबड़, अपर कालाबड़, गाड़ीघाट, बदरीनाथ मार्ग, फारेस्ट कालोनी व गिवई स्रोत क्षेत्र में गिवई नलकूप, तिलवाढांग चौकी के समीप स्थित ढाई किमी. पंप हाउस व पांचवें किलोमीटर स्थित फिल्टर हाउस से जलापूर्ति होती है। एक सप्ताह गुजर गया है, लेकिन जलसंस्थान न तो गिवई नलकूप से जलापूर्ति कर रहा है और न ही अन्य पंप हाउस से। इससे क्षेत्र में पेयजल के लिए हाहाकार मच गया है। हैरत की बात तो यह है कि कई दिनों बाद भी जलापूर्ति सुचारू न होने के बावजूद जलसंस्थान वैकल्पिक जलापूर्ति को लेकर भी लापरवाह रवैया अपना रहा है।
कहने को जल संस्थान पेयजल किल्लत वाले क्षेत्रों में टैंकरों से जलापूर्ति का दावा कर है, लेकिन तीस हजार आबादी वाले क्षेत्र में चंद टैंकर भेजे जा रहे हैं। नतीजा, जनता पानी के लिए दर-दर भटक रही है।
विकल्प पर मिट्टी, भुगत रही जनता
पेयजल किल्लत की स्थिति में वैकल्पिक उपायों को लेकर बरती जा रही कोताही जनता को भारी पड़ रही है। दरअसल, पांच-वें मील स्थित पंप में पर्याप्त जलापूर्ति न होने पर विभाग ने टूट गदेरा पेयजल लाइन का निर्माण कराया था, लेकिन यह पेयजल लाइन लंबे समय से बंद पड़ी है। नलकूपों को आपस में जोड़ने की योजना ठंडे बस्ते में पड़ी है, वहीं जिन दो पंपिंग योजनाओं के बंद पड़ने की वजह विद्युत लाइन क्षतिग्रस्त होना बताया जा रहा है। उनमें जनरेटर उपलब्ध होने के बावजूद कई दिनों से एक बूंद पानी भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा।
मंगलवार को फौरी राहत के आसार
नगर में गहराये पेयजल संकट से मंगलवार शाम तक फौरी राहत मिलने के आसार हैं। जलसंस्थान के अधिशासी अभियंता एसएस मेवाड़ ने बताया कि गिवई नलकूप में आई खराबी को ठीक कर दिया गया है, मंगलवार को नलकूप की जलापूर्ति सुचारू कर दी जाएगी। साथ ही विद्युत वितरण खंड कोटद्वार ने ढाई व पांचवें मील स्थित पंपिंग स्टेशनों की विद्युत लाइनों की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया है।