बादलों ने की शरारत, फिर हाथ लगी मायूसी
जागरण संवाददाता, कोटद्वार : एक बार फिर कोटद्वार व आसपास के क्षेत्रों में काश्तकारों के हाथ मायूसी आई। शनिवार सुबह आसमान में घिरे काले बदरा को देख काश्तकारों को अच्छी बारिश की उम्मीद थी, लेकिन सूखी धरती के हाथ दो-चार बूंद ही वर्षा जल आया। इधर, बारिश न होने के कारण क्षेत्र में इन दिनों भारी उमस से जनजीवन बेहाल है।
कोटद्वार-भाबर क्षेत्र के आमजन के साथ ही काश्तकार भी 'इंद्र देव' से बरसने की प्रार्थना कर रहा है, लेकिन कोई फायदा नहीं। क्षेत्र में दस-बारह किमी. के दायरे के बाहर तो बारिश हो रही है, लेकिन कोटद्वार में बादल नहीं बरस रहे। पिछले कई दिनों से बादलों की आंख-मिचौली जारी है। शनिवार भोर आसमान पर घिरे काले बादलों को देख काश्तकारों के साथ ही आमजन को क्षेत्र में अच्छी बारिश की उम्मीद जगी, लेकिन खानापूर्ति के नाम पर क्षेत्र में बादल पांच-सात मिनट बरसे और हालात जस के तय हो गए। हल्की बारिश से एक बार फिर उमस बढ़ गई व पूरे दिन लोग उमस से बेहाल हो रहे।
यह हो रहे नुकसान
बारिश न होने के कारण काश्तकार को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। दरअसल, क्षेत्र में जुलाई माह के प्रथम सप्ताह से धान की रोपाई शुरू हो जाती थी, लेकिन इस वर्ष बारिश न होने के कारण रोपाई तो दूर, अभी तक धान की नर्सरी तक तैयार नहीं हो पाई है। जिन लोगों ने अपने प्रयासों से नर्सरी बनाई भी, उनकी नर्सरी में भी पौध सूख गई है। साथ ही इस सीजन में क्षेत्र में उड़द, मूंग व सोयाबीन भी बोई जाती है, लेकिन बारिश न होने के कारण इन दलहनों की बुवाई भी नहीं हो पाई है।