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खननकारी चुस्त, सो रहा महकमा

By Edited By: Published: Sat, 12 Apr 2014 01:03 AM (IST)Updated: Sat, 12 Apr 2014 01:03 AM (IST)
खननकारी चुस्त, सो रहा महकमा

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: कोटद्वार क्षेत्र में राजनीतिक संरक्षण प्राप्त खननकारियों के हौंसले इस कदर बुलंद हो चुके हैं कि अब वन महकमा भी उन पर हाथ डालने में कतरा रहा है। आलम यह है कि खननकारी विभाग की नाक के नीचे धड़ल्ले से अवैध खनन को अंजाम दे रहे हैं, लेकिन उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है।

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कोटद्वार क्षेत्र में अवैध खनन का धंधा इन दिनों जोरों पर है। मालन, सुखरो, खोह व कोल्हू नदियों में दिनभर अवैध रूप से रेत, बजरी व बोल्डरों का चुगान करते ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को आसानी से देखा जा सकता है। ऐसा नहीं है कि विभागीय अधिकारियों की इसकी भनक न हो, लेकिन राजनीतिक संरक्षण प्राप्त खननकारी के सामने अधिकारी भी चुप्पी साधने को मजबूर हैं। दरअसल, कोटद्वार क्षेत्र में खनन के विरुद्ध कड़े कदम उठाने वाले अधिकारियों का स्थानांतरण किया जाना आम है। कई मर्तबा तो खननकारी स्वयं ही अधिकारियों को स्थानांतरण की चेतावनी देते हैं। वर्तमान हालात पर नजर डालें तो तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी नेहा वर्मा के स्थानांतरण के बाद से विभाग ने खनन की ओर देखना ही छोड़ दिया है। खानापूर्ति के नाम पर महीने में एक-दो ट्रैक्टर पकड़ कर्तव्य की इतिश्री करना अब विभाग की कार्यप्रणाली का हिस्सा बन गया है।

पिछले छह माह में पकड़े गए अवैध खनन के मामले

माह-मामले

अक्टूबर-05

नवंबर-05

दिसंबर- 06

जनवरी- 04

फरवरी- 00

मार्च-02

अप्रैल-02 (अब तक)

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अवैध खनन किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा। खनन रोकने के लिए वन कर्मियों को कड़े निर्देश दिए गए हैं। नितेशमणि त्रिपाठी, प्रभागीय वनाधिकारी, लैंसडौन वन प्रभाग


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