टैंकों की सफाई राम भरोसे
संवाद सहयोगी, पौड़ी: लचर व्यवस्थाओं के चलते ओवरहेड टैंकों की सफाई भगवान भरोसे है। वितरण टैंकों की सफाई के मानक ताक पर हैं। इसका सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है।
स्वच्छ पानी को लेकर जागरूक करने के नारे खूब लग रहे हैं, लेकिन शहरवासियों को जिन टैंकों से पानी पिलाया जा रहा है। उनकी सफाई में भारी लापरवाही बरती जा रही है। रांसी के निकट पानी के टैंक की एक मई 2013 को सफाई हुई। दस माह बीतने को है, लेकिन इस तरफ विभाग ने दोबारा झांका तक नहीं। कमोवेश यही स्थिति अन्य टैंकों की भी है।
ओवरहेड टैंक सफाई के मानक
मानक के अनुरूप ओवरहेड टैंक की सफाई प्रत्येक छह माह के अंतराल में होनी चाहिए। मौसम बदलने के साथ भी टैंकों की सफाई हर हाल में हो। इस प्रक्रिया में टैंक खाली कर उसे पूरी तरह धोया जाता है। उसके बाद फिर से पानी का भंडारण किया जाता है।
दूषित पानी के खतरे
-पेट संबंधी बीमारियों का खतरा
-डायरिया
-उल्टी, पेचिस
-डायरिया का प्रकोप
ढिलाई पर ईई ने दी सफाई
टैंकों की सफाई में बरती जा रही ढिलाई पर सफाई देते हुए जल संस्थान के अधिशासी अभियंता आरके रोहिला ने बताया कि छह माह व मौसम बदलने पर भी टैंकों को खाली कर सफाई की जाती है। यह हो सकता है कि टैंकों पर लिखे सफाई के दिवस को अपग्रेड न किया गया हो।
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ओवरहेड टैंकों की सफाई की क्या व्यवस्था है उपभोक्ताओं को इसका पता नहीं रहता। दैनिक जागरण की पहल ने पेयजल के पहलुओं को लेकर जागरूक किया है। स्वच्छ पानी के हक के लिए सजगता जरूरी है।
जसपाल सिंह, निवासी अपर चोपड़ा
फोटो: 2पीएयूपी-2
मानकों के अनुरूप ओवरहेड टैंकों की सफाई जरूरी है। जिस तरह जल संस्थान के टैंकों की स्थिति दिख रही है। उससे साफ है कि लापरवाही से चलते उपभोक्ता की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
पदमेंद्र सिंह नेगी, निवासी पौड़ी गांव
फोटो: 2पीएयूपी-3
दूषित पानी के उपयोग से बीमारिया फैलना स्वाभाविक है। स्वच्छ पानी का उपयोग जरूरी है। स्वच्छता को लेकर जल संस्थान को भी सतर्क रहना होगा। स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी सैंपलिंग की जाती है।
डॉ. एके सिंह, सीएमओ पौड़ी