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सभी आपदा प्रभावित गांवों में केदारनाथ की तर्ज पर हों पुनर्निर्माण

पहाड़ संस्था के की ओर से केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण की चुनौतियां और जन आंदोलन की प्रासंगिकता विषय पर गोष्ठी में वक्ताओं ने केदारनाथ की तर्ज पर सभी आपदा प्रभावित गांवों में पुनर्निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2015 03:30 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2015 03:32 PM (IST)

नैनीताल। पहाड़ संस्था के की ओर से केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण की चुनौतियां और जन आंदोलन की प्रासंगिकता विषय पर गोष्ठी में वक्ताओं ने केदारनाथ की तर्ज पर सभी आपदा प्रभावित गांवों में पुनर्निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया।
नैनीताल क्लब में आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में वर्ष 2013 की आपदा में काफी संख्या में गांव भी प्रभावित हुए, लेकिन पुनर्नर्माण कार्यों में सरकार का फोकस सिर्फ केदारनाथ पर ही रहा।
इसके विपरीत आपदा प्रभावित गांवों में सरकार ने अभी तक ध्यान नहीं दिया है। इससे गांवों से पलायन जारी है। वक्ताओं ने कहा कि सरकार को उत्तराखंड के आपदा प्रभावित गांवों में भी ध्यान देना होगा। साथ ही ऐसे गांवों में केदारनाथ की तर्ज पर पुनर्निर्माण कार्य कराने चाहिए।
अस्कोट-आराकोट अभियान के अनुभव बताते हुए साहित्यकार कमल जोशी ने कहा कि पहाड़ के गांवों में अब भी सरकारें विकास का टिकाऊ मॉडल नहीं बना सकी हैं। आपदाग्रस्त गांवों में अब तक पुनर्वास का काम अधूरा है।
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल ने केदारनाथ आपदा के बाद निम की ओर से किए जा रहे पुनर्निर्माण कार्यों को लेकर अपने अनुभव बांटे। इस मौके पर लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी, डॉ. शेखर पाठक ने भी विचार रखे।
पढ़ें-स्थानीय युवाओं के जज्बे से ही संभव हुआ केदारनाथ में पुनर्निर्माण

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