सरोवर नगरी में वाहनों का बढ़ता दबाव आबोहवा में घाेल रहा जहर, ये रिपोर्ट चौंकाने वाली
सरोवर नगरी में वाहनों का बढ़ता दबाव आबोहवा में जहर घोल रहा हैै। उत्तर भारत के शहरों की जहरीली हवा का प्रभाव नैनीताल की शुद्ध वातावरण को खराब कर रहा है।
नैनीताल, किशोर जोशी : सरोवर नगरी में वाहनों का बढ़ता दबाव आबोहवा में जहर घोल रहा हैै। उत्तर भारत के शहरों की जहरीली हवा का प्रभाव नैनीताल के शुद्ध वातावरण को खराब कर रहा है। आलम यह है कि 24 सितंबर 2018 को नैनीताल की मालरोड का प्रदूषण खतरनाक स्तर को पार कर गया था। संतोष यह है कि फिलहाल शहर के वातावरण में शुद्ध हवा बह रही है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि यदि शहर में वाहनों का दबाव कम नहीं किया गया तो शुद्ध हवा को जहरीली होने में देर नहीं लगेगी।
पिछले साल अगस्त में पहले आइआइटी दिल्ली द्वारा शहर की आबोहवा जांचने के लिए मालरोड में अल्का होटल के समीप तथा शेरवानी होटल क्षेत्र में एअर पॉल्यूशन मीटर लगाया गया था। नवंबर में उत्तर भारत के शहरों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर को पार कर गया था तो इसका असर नैनीताल की आबोहवा पर भी नजर आया था। सितंबर के अंतिम सोमवार यानी 24 सितंबर को नैनीताल का प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर को पार कर गया था। आइआइटी दिल्ली की ओर से तैयार रिपोर्ट के अनुसार गाडिय़ों की आवाजाही बढऩा इसका प्रमुख कारण है। आइआइटी दिल्ली की रूचि वर्मा के अनुसार वल्र्ड हेल्थ ऑगनाईजेशन के मानकों के अनुसार पिछले साल सितंबर में प्रदूषण का स्तर तीन सौ से चार सौ पीएम तक पहुंच गया। डब्लूएचओ के मानकों के हिसाब से एअर क्वालिटी स्टेंडर्ड 2.5 पीएम (पार्टिकुलेटेड मैटर) का स्तर 30-40 होना चाहिए। दुनियां के टॉप 20 शहरों में 15 सबसे प्रदूषित शहर भारत में हैं। इसमें दिल्ली, कानपुर जैसे महानगर शामिल हैं। प्रदूषण का भारतीय औसत 60 पीएम है। आइआइटी की रिपोर्ट के अनुसार नैनीताल की आबोहवा शुद्ध है लेकिन बढ़ते ट्रैफिक की वजह से खतरे के संकेत दिखाई देने लगे हैं।
झील के अस्तित्व के लिए खतरा बना कूड़ा कचरा
आइआइटी की रिपोर्ट के अनुसार शहर में प्रतिदिन 37.64 मीट्रिक टन कूड़ा कचरा पैदा हो रहा है। स्थाई आबादी का 33 फीसद, होटल रेस्टोरेंट 26 प्रतिशत, रिश्तेदार व दोस्त के साथ आने वाले पर्यटक 25 फीसद, सड़कों की सफाई सात फीसद तथा अन्य तीन फीसद कूड़ा कचरा पैदा कर रहे हैं। कूड़ा प्रबंधन नहीं होने की वजह से अधिकांश कचरा झील में पहुंच रहा है। अतिक्रमण, निर्माण सामग्री की मलबे की वजह से झील मौत की तरफ बढ़ रही है। साथ ही कूड़े कचरे से हिमालय के जल भंडार नष्टï हो रहे हैं। आइआइटी ने कूड़ा प्रबंधन को जल्द लागू करने का सुझाव दिया है।
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