अंग्रेजी ने छुड़ाए गुरुजी के पसीने
हल्द्वानी : परीक्षा में बच्चों के छक्के छुड़ाने वाली अंग्रेजी ने अबकी शिक्षकों के ही पसीने छुड़ा दिए। शारीरिक प्रताड़ना पर केंद्र सरकार की अंग्रेजी में जारी गाइड लाइन ने शिक्षकों के माथे पर बल डाल दिए। नियमों पर अमल करने-कराने से पहले ही शिक्षक एक-दूसरे को ताकने लगे। शिक्षा अधिकारियों ने भी कोई विस्तार किए बगैर इस आदेश को शिक्षकों तक सरका दिया।
स्कूलों में बच्चों की शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना रोकने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने 26 मार्च 2014 को शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 35 (1) के अंतर्गत अंग्रेजी में 18 पन्ने की गाइड लाइन जारी की। एक मई को प्रदेश के प्रमुख सचिव शिक्षा ने कवरिंग लेटर लगाकर प्राथमिक शिक्षा निदेशक को गाइड लाइन का अवलोकन कर कार्यवाही के आदेश जारी कर दिए। उच्चाधिकारियों ने नोट लगाते हुए आदेश को निचले अफसरों तक पहुंचा दिया। सीईओ ने भी आदेश को डीईओ, बीईओ समेत प्रधानाचार्य व शिक्षकों तक जस का तस सरका दिया।
अधिकारी बुनियादी तालीम और बच्चों के प्रति कितने सजग हैं, इसका पता इससे लगता है कि किसी भी अफसर ने गाइड लाइन को पढ़ने की जहमत नहीं उठाई। आदेश जब शिक्षकों को मिला तो उनके पसीने छूट गए। अंग्रेजी में 18 पन्नों की गाइड लाइन देखकर वे एक-दूसरे को देखते रह गए। शिक्षकों के सामने पहली समस्या नियमों को खुद समझने की है। उच्चाधिकारियों ने भी आदेश को नीचे भेजकर खानापूर्ति कर दी। उस पर क्या कार्यवाही हुई, यह जानने की कोई कोशिश नहीं की, न ही शिक्षकों के साथ बैठक कर उन्हें नियमों के बारे में बताया।
शासन से जैसा आदेश मिलता है, वैसे ही निचले अधिकारियों को भेजा जाता है। नियमों का व्याख्यान होना चाहिए था। इस पर बैठक कर शिक्षकों से वार्ता की जाएगी।
- आरसी पुरोहित, डीईओ, बेसिक