डेयरी इंडिया ने 'आंचल' को दी चुनौती
लालकुआं : दुग्ध कंपनी डेयरी इंडिया ने आंचल को जोरदार चुनौती दी है। तीन दिन में शांतिपुरी व बिंदुखत्ता में डेयरी इंडिया ने दो दर्जन दुग्ध क्रय केंद्र खोल दिए हैं। डेयरी इंडिया के बढ़ते दायरे ने ऊधमसिंह नगर, नैनीताल दुग्ध संघ व यूसीडीएफ के अधिकारियों में बेचैनी बढ़ा दी है।
आंचल डेयरी उत्तराखंड में दुग्ध पदार्थो का ब्रांड बन चुकी है। वर्तमान में हर गांव में आंचल डेयरी के क्रय व विक्रय केंद्र हैं, लेकिन गजरौला के गोपाल जी आनंदा की डेयरी इंडिया ने शांतिपुरी व बिंदुखत्ता में दो दर्जन दुग्ध क्रय केंद्र खोले हैं। डेयरी इंडिया इन केंद्रों से दूध खरीदकर पुलभट्टा के चिलिंग प्लांट में रखती है। वहां से गजरौला फैक्ट्री में दुग्ध पदार्थ बनाए जाते हैं। डेयरी इंडिया के पीएंडआइ मैनेजर राज प्रताप सिंह चौहान बताते हैं कि उनकी टीम ने नैनीताल, ऊधमसिंह नगर के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे किया। अभी तक 20 से ज्यादा क्रय केंद्र खोले गए हैं। सर्वे में उत्पादकों को आंचल की लागत के अनुरूप दाम नहीं मिलने की बात सामने आई है। इसी को आधार बनाकर डेयरी इंडिया बाजार में उतरी है। उत्पादकों को चिकित्सा समेत पशु आहार भी उपलब्ध कराया जाएगा। अभी डेयरी इंडिया उत्पादकों को 9 एसएनएफ, 29 लेक्टोमीटर व 6.5 फैट पर 37.50 रुपये प्रति लीटर उपलब्ध करा रही है। कंपनी ने इस वर्ष नैनीताल, ऊधमसिंह नगर में 150 दुग्ध क्रय केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा है।
इधर आंचल डेयरी उत्पादकों को बोनस, एरियर, प्राथमिक चिकित्सा, आपातकालीन सेवा, गुणवत्तायुक्त चारा, खत्ता क्षेत्रों में ब्याज रहित ऋण समेत सरकार से मिलने वाली कई योजनाओं का लाभ भी देता है। इसके अलावा समिति वेलफेयर फंड से उत्पादकों को आर्थिक सहायता भी दी जाती है। ऐसे में उत्पादकों के बीच डेयरी इंडिया कितनी पैठ बना पाएगी, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इससे आंचल अधिकारियों के साथ सरकारी तंत्र की नींद जरूर उड़ गई है।
प्रतिस्पर्धा के युग में उत्पादक को आंचल व अन्य प्राइवेट कंपनियों के बीच अवलोकन करने का मौका मिलेगा। पहले भी रिलायंस व ए-वन डेयरी ने खरीद बाजार में पैठ बनाने के प्रयास किए थे, लेकिन उत्पादकों के लिए आंचल की योजनाओं के आगे टिक नहीं सके।
- संजय किरौला, अध्यक्ष, नैनीताल दुग्ध संघ
आंचल उत्पादकों से सिर्फ दूध नहीं खरीदता है, बल्कि उनके सुख-दुख में भागीदारी निभाता है। आंचल कार्य बेहतर करने में विश्वास रखता है, ताकि उत्पादक उससे जुड़े रहें।
- आरपी शर्मा, अध्यक्ष, ऊधमसिंह नगर दुग्ध संघ
दुग्ध संघ व सरकार उत्पादकों के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रही है। उत्पादकों को प्राइवेट क्षेत्र में न जाकर समितियों के माध्यम से दूध देना चाहिए, ताकि उनको दुग्ध संघों व सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके।
- हरीश चंद्र दुर्गापाल, दुग्ध विकास मंत्री
उत्तराखंड के डेढ़ लाख उत्पादक आंचल से जुड़े हैं, जिनको आंचल व सरकार की अनेक योजनाओं का लाभ मिल रहा है। उत्पादक किसी भ्रम की स्थिति में नहीं आएंगे। पूर्व में भी कई कंपनियां आई, मगर आंचल को हमेशा प्यार मिला।
- अर्जुन रौतेला, अध्यक्ष, यूसीडीएफ