यारसा गम्बू को देसी वियाग्रा की मान्यता
कमलेश पाण्डेय, हल्द्वानी
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली कीड़ा जड़ी (यारसा गंबू) को सदियों से शक्ति एवं यौनवर्द्धक दवा के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन अब इसे अधिकारिक रूप से देसी वियाग्रा के रूप में मान्यता मिल गई है। डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयो एनर्जी रिसर्च(डीआइबीआइआर) हल्द्वानी ने यारसा गंबू का कल्चर कर वियाग्रा बनाने की तकनीक का पेटेंट करा लिया है। दिल्ली की एक दवा निर्माता कंपनी अब यारसा गंबू से बनी देशी वियाग्रा को बाजार में उतारने की तैयारी कर रही है।
यरसा गम्बू के बारे में पहले हिमालयी क्षेत्र के लोग ही जानते थे और इसका प्रयोग ताकतवर औषधि के रूप में किया जाता रहा है, लेकिन दो दशक पूर्व सर्वप्रथम चीन ने इसके यौनवर्द्धक के रूप में प्रयोग कर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। फिर तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में यारसा गम्बू की कीमत आसमान छूने लगी। भारतीय बाजार में वर्तमान में यारसा गम्बू 9 से 11 लाख रुपए किलो बिक रही है तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 17 से 20 लाख रुपए प्रति किलो बताई जाती है।
अरसे से यारसा गम्बू पर शोध कर रहे डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ बायो एनर्जी रिसर्च गोरा पड़ाव हल्द्वानी की टीम को इसका कल्चर करने में कामयाबी मिली है। यारसा गम्बू से प्रयोगशाला में देसी वियाग्रा तैयार कर लेने की तकनीक विकसित कर रिसर्च संस्थान ने इसका पेटेंट करा लिया है। तकनीक पेटेंट हो जाने के बाद अधिकारिक रूप से यारसा गम्बू को अब देसी वियाग्रा के रूप में मान्यता मिल गई है।
डीआइबीआइआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रेम सिंह नेगी बताते हैं कि संस्थान ने अपनी तकनीक दिल्ली की दवा निर्माता कपंनी बायोटेक इंटरनेशनल को हस्तगत कर दी है। उक्त कंपनी कैप्सूल, सीरप फार्म में यरसा गम्बू से बनी वियाग्रा को बाजार में उतारने जा रही है। भविष्य में पाउडर फार्म में भी यह बाजार में दिखाई दे सकती है।
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कीड़े की झिल्ली पर पनपता है यारसा गम्बू
यारसा गम्बू उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है। कुमाऊं के पिथौरागढ़, बागेश्वर तथा गढ़वाल के चमोली और उत्तरकाशी में यह प्राकृतिक रूप से तैयार होती है। यारसा गम्बू का वैज्ञानिक नाम कार्डिसेप्स साइनेसिस है। यह हैपिलस फैब्रिकस नाम के एक कीड़े की झिल्ली (कैटपिलर्स) को मार कर उस पर पनपता है।
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यौनवर्द्धक तत्व
= यारसा गम्बू में यौनवर्धक तत्व कार्डीसेंपिन की प्राकृतिक रुप से मौजूदगी 2.42 पीपीएम(पार्ट पर मालीक्यूल) है।
= कल्चर में 2.02 पीपीएम कार्डीसेंपिन मौजूद है।
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