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एंटी प्लैगरिज्म पकड़ेगा शोध चोरी

By Edited By: Published: Thu, 02 Feb 2012 07:28 PM (IST)Updated: Thu, 02 Feb 2012 07:48 PM (IST)

-कुमाऊं विवि ने सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केंद्र से किया करार

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-यूजीसी के शोधगंगा प्रोजेक्ट पर अमल शुरू

किशोर जोशी, नैनीताल : दूसरे के शोध पर पीएचडी की डिग्री हासिल करने वालों पर विवि ने शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। इसके तहत विवि के पुस्तकालय में एंटी प्लैगरिज्म साफ्टवेयर लगाया जाएगा। इसके लिए यूजीसी से संबद्ध सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केंद्र अहमदाबाद के साथ करार किया गया है।

यूजीसी के शोधगंगा प्रोजेक्ट के बाद उन्हीं विवि को अनुदान देने की मंशा जाहिर की गई है, जहां शोध की गुणवत्ता बनाए रखने के पुख्ता इंतजाम हैं। कुलसचिव डा. कमल पांडे ने बताया कि यूजीसी के दिशा निर्देश के बाद शोध चोरी रोकने के लिए कवायद शुरू की गई है। इसी क्रम में हाल ही में सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केंद्र अहमदाबाद और कुमाऊं विवि के बीच करार किया गया है। नेटवर्क केंद्र विवि को एंटी प्लैगरिजम सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराएगा। इसे शोध ग्रंथ जमा करने के स्थान केंद्रीय पुस्तकालय में लगे कंप्यूटर में डाउन लोड किया जाएगा। डा. पांडे के अनुसार इससे विवि देश के दूसरे विवि की शोध गतिविधियों से जोड़ा जाएगा। जिससे सुदूरवर्ती गांवों के शोध छात्र घर बैठे शोध विषयों की सटीक जानकारी जुटा सकेंगे। सूचना वैज्ञानिक डा. युगल जोशी को इसका जिम्मा सौंपा गया है।

इनसेट

क्या है एंटी प्लैगरिज्म सॉफ्टवेयर एंटी प्लैगरिज्म सॉफ्टवेयर शोध ग्रंथ की चोरी का लेबल बताएगा। ए ग्रेड में माना जाएगा कि शत प्रतिशत थिसिस चोरी है, बी में चोरी की संभावना का मामला माना जाएगा। शोध ग्रंथ में गड़बड़ी उजागर होती है तो संबंधित शोधार्थी के शोध ग्रंथ की दोबारा स्क्रूटनी की जाएगी। विशेषज्ञ भी मानते है कि इस तरह के प्रयासों से शोध ग्रंथों की चोरी पर अंकुश लग सकेगा।

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