बंदोबस्त के गोलमाल में फंस गई जमीनें
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : 20 साल की जद्दोजहद के बाद अंजाम तक पहुंची हल्द्वानी के सात गांवों के बं
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : 20 साल की जद्दोजहद के बाद अंजाम तक पहुंची हल्द्वानी के सात गांवों के बंदोबस्त कामकाज की खामियां अब निकलकर आ रही हैं। भू-अभिलेख खासकर खतौनियों में खाताधारकों के नाम, क्षेत्रफल एवं खसरा नंबर आदि में तमाम अशुद्धियां लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही हैं।
बंदोबस्त महकमे को 1997-98 में हल्द्वानी के सात गांव सेटलमेंट के लिए सुपुर्द किए गए थे। 2015 तक इन गांवों की बंदोबस्त प्रक्रिया बेहद सुस्ती से चलती रही। यहां तक बंदोबस्त के कार्मिक भी बंदोबस्त के बजाय भू राजस्व संबंधी कार्यो के अभ्यस्त हो गए। 2016 में तत्कालीन डीएम दीपक रावत ने इस पर सख्त रवैया अपनाया और बंदोबस्त महकमे के लिए कामकाज समाप्त करने की समयसीमा निर्धारित कर दी। इस साल के शुरुआत में कुसुमखेड़ा, गौजाजाली, बमौरी एवं मुखानी आदि गांव भी प्रक्रिया पूरी होने के बाद कंप्यूटरीकृत डाटा के साथ तहसील के रजिस्ट्रार कानूनगो अनुभाग में उपलब्ध हो गए। जिल्द, नजरी-नक्शा एवं आर-6 आदि रजिस्ट्रार कानूनगो अनुभाग को सौंपे गए हैं। बावजूद इसके अब जैसे-जैसे लोग यहां से कंप्यूटरीकृत खतौनी निकाल रहे हैं तो उसमें तमाम खामियां निकल रही हैं। तमाम रिकार्ड में नाम ही गलत दर्ज हैं तो कई में क्षेत्रफल एवं विवरण न खोले जाने संबंधी खामियां हैं। ऐसे में आरके अनुभाग में ही रोजाना दो-तीन आवेदन अशुद्धियों में सुधार के लिए आ रहे हैं।