18 हजार वर्ग मीटर से अधिक भूमि लील गया अतिक्रमण
जागरण संवाददाता, नैनीताल : इसे प्रशासन का नकारापन कहें या लापरवाही। नैनी झील के कैचमेंट क्षेत्र सूखा
जागरण संवाददाता, नैनीताल : इसे प्रशासन का नकारापन कहें या लापरवाही। नैनी झील के कैचमेंट क्षेत्र सूखाताल में 40 हजार वर्ग मीटर में से 18 हजार से अधिक वर्ग मीटर जमीन अतिक्रमण की भेंट चढ़ गई है, लेकिन हुक्मरानों को इसकी कोई फिक्र नहीं। राज्य निर्माण के बाद भी बदस्तूर जारी अतिक्रमण के खिलाफ न तो योजना बनाई गई न इसे रोकने के लिए ठोस पहल। नतीजतन सूखाताल झील सूखने से नैनी झील पर भी संकट खड़ा हो गया है। अब मंडलायुक्त ने सूखाताल से संबंधित ब्यौरा तलब किया है।
शुक्रवार को मंडलायुक्त डी. सैंथिल पांडियन ने अधिकारियों संग सूखाताल का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने मुख्य नाले में कूड़ा-करकट व गंदगी देख नाराजगी दिखाई और लोनिवि को सफाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सूखाताल नैनी झील का जलागम क्षेत्र है। ऐसे में इसका संरक्षण जरूरी है। उन्होंने जलागम क्षेत्र में एडीबी की ओर से बनाए गए बोरिंग कर पंप हाउस बनाने पर नाराजगी जताते हुए सूखाताल से संबंधित समस्त ब्यौरा तलब किया। साथ ही कहा कि प्राधिकरण को कंसलटेंट एजेंसी बनाने की जरूरत है। बता दें कि सूखाताल क्षेत्र में लगातार हो रहे अवैध निर्माण को लेकर दो साल पहले हाई कोर्ट ने भी सख्ती दिखाई थी और इसे रोकने के निर्देश दिए थे, लेकिन अधिकारियों ने कोर्ट के आदेश को ही हवा कर दिया।
आसपास के गांवों का बनेगा मास्टर प्लान
झील विकास प्राधिकरण के दायरे में हाल में आए गांवों में अंधाधुंध निर्माण को लेकर भी प्रशासन चिंतित है। इन क्षेत्रों में जल संकट भी उसी तेजी से बढ़ रहा है। कमिश्नर पांडियन ने कहा कि अब आसपास के गांवों को प्राधिकरण में शामिल किया जा रहा है। वह खुद प्राधिकरण अध्यक्ष व जिलाधिकारी सचिव होंगे। बिना प्राधिकरण की सहमति के निर्माण अवैध माने जाएंगे। उन्होंने इन गांवों में चालखाल निर्माण व परंपरागत जलस्रोतों का पुराने परंपरागत तरीकों से ही संरक्षण करने पर जोर दिया है।