कैंसर जैसी बीमारी में भी संजीवनी सहजन
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में पहुंच से दूर सहजन वृक्ष की प्रजाति को विकसित
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में पहुंच से दूर सहजन वृक्ष की प्रजाति को विकसित करने के लिए यहां वन अनुसंधान केंद्र ने कदम आगे बढ़ाए हैं। विशेषज्ञों का कहना है की औषधीय गुणों से युक्त यह यह सहजन से पेट व नेत्र रोग के साथ ही कैंसर जैसी घातक बीमारियों में भी इसके लाभ पहुंचने का दावा किया जा रहा है।
सहजन को सहिजन, सहजना, सैजन, मोचक, सजीना, मुनगा, सोंहजना, सजिना आदि के नाम से भी जाना जाता है। इस वृक्ष का वानस्पतिक नाम मोरिगां ओलपुरा है। खास बात यह है कि वैसे तो यह वृक्ष देश में अन्य जगहों पर तो पाया जाता है, लेकिन उच्च पर्वतीय क्षेत्र में इस प्रजाति का पौधा नहीं मिलता है। अलबत्ता, वन अनुसंधान केंद्र ने उत्तराखंड उच्च पर्वतीय क्षेत्र में सहजन की प्रजाति को विकसित करने की कवायद कर रहा है। वन अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन सिंह बिष्ट का कहना है कि सहजन की फलियां ही नहीं, उसकी पत्ती, फूल, जड़ सभी औषधीय गुणों से भरे हुए हैं। इस वृक्ष के सभी भागों में दूध से भी ज्यादा कैल्शियम होता है। उनका कहना है कि सहजन मस्तिष्क, नेत्र रोग, मुख रोग, छाती रोग, पेट रोग त्वचा रोग के साथ ही कैंसर जैसी बीमारियों में भी फायदा पहुंचता है। मदन सिंह बिष्ट ने कहा कि इस पौधों के लिए यह समय बेहद उपयुक्त है। इसके पत्तों का जूस, छाल का काढ़ा पीना बेहद फायदेमंद है। उन्होंने बताया कि वन विभाग इन पौधों की प्रजाति विकसित करने के लिए इन्हें पर्वतीय क्षेत्र के वन क्षेत्रों में विकसित कराएगा।