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पंचवटी कालोनी में निर्माण पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

जागरण संवाददाता, नैनीताल : रुद्रपुर के गंगापुर रोड स्थित पंचवटी कालोनी भूमि विवाद मामले में हाई कोर्

By Edited By: Published: Mon, 20 Feb 2017 09:38 PM (IST)Updated: Mon, 20 Feb 2017 09:38 PM (IST)
पंचवटी कालोनी में निर्माण पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

जागरण संवाददाता, नैनीताल : रुद्रपुर के गंगापुर रोड स्थित पंचवटी कालोनी भूमि विवाद मामले में हाई कोर्ट ने निर्माण पर रोक लगा दी है। साथ ही जुलाई 2016 के बाद हुई जमीन बिक्री के विक्रय पत्रों को भी निष्प्रभावी कर दिया है। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान कुमाऊं कमिश्नर डी सेंथिल पांडियन ने स्वयं उपस्थित होकर सरकार का पक्ष रखा।

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मामले के अनुसार दर्शन सिंह आदि ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर कहा कि उन्होंने करीब छह एकड़ भूमि हरनाम सिंह से 1971 में खरीदी थी। 1971 से ही वह इस जमीन पर काबिज चले आ रहे हैं। बोर्ड ऑफ रेवन्यू ने उनके के खिलाफ गलत तरीके से फैसला देते हुए 19 जुलाई 2005 के एडीएम ऊधमसिंह नगर के आदेश को अपास्त कर दिया। एसडीएम ने दर्शन सिंह आदि के नाम जमीन का नामांतरण करने के आदेश दिए थे। सोमवार को न्यायालय में कमिश्नर, जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर व नगर निगम ने अपने शपथ पत्र दाखिल करके बताया कि याची द्वारा गलत और अधूरे तथ्यों के साथ याचिका दाखिल की गई है। याची ने न्यायालय से गलत तथ्यों के आधार पर अंतरिम आदेश लिया है। हरनाम सिंह द्वारा 1977 से लेकर 2015 तक मुंसिफ कोर्ट नैनीताल, मुंसिफकोर्ट हल्द्वानी, जिला जज नैनीताल, उच्च न्यायालय इलाहाबाद, उच्च न्यायालय नैनीताल और नियत प्राधिकारी रुद्रपुर आदि में लड़े गए केस में याची हार गया था।

याची ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करते समय इन सभी मुकदमों की जानकारी छुपाई है। सरकार की ओर से न्यायालय को यह जानकारी दी गई है। याचिका पर अंतरिम अनुतोष पाने के बाद याची द्वारा जमीन बेचना भी पाया गया। जिस पर तहसीलदार रुद्रपुर ने याची के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज कराई गई। कमिश्नर ने यह तथ्य भी न्यायालय के समक्ष रखे। सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि उक्त जमीन से संबंधित विक्रय पत्र जो 13 जुलाई 2016 के बाद किए गए हैं वह प्रभावी नहीं होंगे। साथ ही इस जमीन पर किसी भी तरह का निर्माण भी नहीं होगा। राज्य सरकार इस मामले में कानून के अनुसार अगली कार्यवाही करेगी। अगली सुनवाई कोर्ट दो सप्ताह बात करेगी।


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