'दिव्यांग' योजनाओं के लिए भटक रहा पिता
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : राजपुरा के खेमकरन उस मजबूर पिता का नाम है, जो अपने दो दिव्यांग बच्चों क
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : राजपुरा के खेमकरन उस मजबूर पिता का नाम है, जो अपने दो दिव्यांग बच्चों को लेकर सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए अफसरों के दर भटक रहा है। एक साल पहले छात्रवृति लिए आवेदन किया, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। डीएम दीपक रावत ने घर में मुफ्त पानी का कनेक्शन दिलाने का भरोसा दिलाया था। उस पर भी चुनावी ग्रहण लग गया।
अक्टूबर में प्रदेश का अपना दिव्यांग आयोग गठित किया गया। सीएम हरीश रावत ने जन्म से दिव्यांग बच्चों का पूरा खर्च वहन करने का एलान किया था। विशेष बच्चों के लिए छात्रवृति योजना भी है। बावजूद इसके प्रदेश के हजारों बच्चों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। खेमकरन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उनका बड़ा बेटा प्राथमिक स्कूल में कक्षा छह में पढ़ता है। बचपन में छत से गिर गया। जान तो बच गई, लेकिन अपने पैरों पर कभी खड़ा नहीं हो पाया। अपना सबकुछ बेच और लोगों की मदद से किसी तरह बच्चे के पैरों पर कृत्रिम उपकरण लगाया। छोटा बेटा विकास। जन्म से ही दिव्यांग है। न कुछ समझ पाता है और न बोल पाता है। रिक्शा चलाकर दो वक्त की रोटी कमाने के लिए खेमकरन उसे भी बड़े बेटे के साथ स्कूल भेज देता है। पत्नी की कुछ साल पहले मौत हो गई। अब मजबूरी यह है कि स्कूल की छुट्टी होने से पहले बच्चों को स्कूल लेने जाना पड़ता है। इस आपाधापी में कई दिन रिक्शे का काम भी नहीं मिल पाता। दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। घर में पानी नहीं है। डीएम दीपक रावत से गुहार लगाई तो उन्होंने मुफ्त कनेक्शन देने का वादा किया। उस पर चुनावी ग्रहण लग गया। खेमकरन पिछले दस दिनों में डीएम कैंप कार्यालय के चक्कर काट चुका है, लेकिन व्यस्तता के चलते वह उनसे नहीं मिल पा रहा।