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पांच मार्च को धरती के करीब से गुजरेगा क्षुद्र ग्रह

रमेश चंद्रा, नैनीताल : हमारे सौरमंडल में एक क्षुद्र ग्रह इन दिनों वैज्ञानिकों के साथ आंख मिचौली का

By Edited By: Published: Sat, 13 Feb 2016 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2016 01:00 AM (IST)
पांच मार्च को धरती के करीब से गुजरेगा क्षुद्र ग्रह

रमेश चंद्रा, नैनीताल : हमारे सौरमंडल में एक क्षुद्र ग्रह इन दिनों वैज्ञानिकों के साथ आंख मिचौली का खेल खेल रहा है, जो दिखने के बाद आंखों से ओझल हो जाता है। अब यह पांच मार्च को पृथ्वी के नजदीक से होकर गुजरने जा रहा है। इसका नाम टीएक्स 68 है। 6 अक्टूबर 2013 में इसे खोजा गया था। वैज्ञानिकों के अनुसार इसके पृथ्वी से टकराने की कोई संभावना नहीं है। अगले साल पुन: इसके पृथ्वी के काफी करीब होकर गुजरने की संभावना वैज्ञानिक जता रहे हैं। वैज्ञानिक इस क्षुद्र ग्रह पर पैनी नजर जमाए हुए हैं।

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आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे के अनुसार

टीएक्स 68 एक छोटा क्षुद्र ग्रह है, खास बात यह है कि नजर आने के बाद पुन: आंखों से ओझल हो जाता है, फिर एक-दो दिन बाद ही नजर आता है। धरती के नजदीक पहुंचने के कारण इस पर पल-पल नजर रखना बेहद जरूरी है। लिहाजा नासा समेत कई अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां इस पर नजर रखे हुए हैं। इसके आकार का सटीक पता नहीं चल पाया है। फिर भी माना जा रहा है कि 21 से 52 मीटर के बीच हो सकता है। इसके पृथ्वी से टकराने की कोई संभावना नहीं है। जब यह धरती के नजदीक पहुंचेगा तो इसकी दूरी लगभग चंद्रमा की दूरी के सवा गुना अधिक होने की संभावना जताई जा रही है। इसके पृथ्वी के करीब आने का वैज्ञानिकों का बेसब्री से इंतजार है। पृथ्वी के नजदीक से गुजरते समय इसके आकार का सही पता लगाया जा सके गा, तभी इसकी ऑर्बिट की सटीक गणना भी की जा सकेगी। इसके बाद यह अगले साल पुन: पृथ्वी के करीब पहुंचेगा। तब पृथ्वी से इसकी दूरी इस वर्ष के मुकाबले काफी कम रह जाएगी। जिस कारण वैज्ञानिकों के लिए इस पिंड की कक्षा, आकार व प्रकार के बारे में जानना बेहद जरूरी हो चला है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मार्च में पृथ्वी के नजदीक आते ही इसका रहस्य छिपा नहीं रह जाएगा।

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पृथ्वी के लिए बड़ा खतरा हैं क्षुद्र ग्रह

नैनीताल : क्षुद्र ग्रह यानि एस्टिरॉइड पृथ्वी के लिए बड़ा खतरा हैं। इनके धरती से टकराने की आशंका बनी रहती है। धरती से टकराने के निशान कई हिस्सों में आज भी देखे जा सकते हैं। तीन साल पहले रसिया में टकरा चुका है। करोड़ों साल पहले डायनासोर जैसे विशालकाय जीवों का अस्तित्व मिटाने में भी इन्हीं की भूमिका मानी जाती है। यह हमारे सौर परिवार के सदस्य हैं। कपूर बेल्ट में ही भ्रमण करते हैं। इसके अलावा अन्य बाहरी क्षेत्र में भी विचरते हैं। छोटे-बड़े आकार के इनकी संख्या लाखों करोड़ों से भी अधिक है। अक्सर भटकते हुए पृथ्वी समेत अन्य ग्रहों के करीब आ जाते हैं या उनसे टकरा जाते हैं।


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