पेंशन के लिए 39 साल से लड़ रहा जंग
किशोर जोशी, नैनीताल : बीस साल की रेगुलर सेवा के बाद सरकारी लाभों से वंचित कीटपालक पेंशन के लिए सरकार
किशोर जोशी, नैनीताल : बीस साल की रेगुलर सेवा के बाद सरकारी लाभों से वंचित कीटपालक पेंशन के लिए सरकारी तंत्र के खिलाफ 39 साल से जंग लड़ रहा है। मुफलिसी में जी रहा कीटपालक अब संन्यासी की जिंदगी गुजार रहा है। हाई कोर्ट से मुकदमा जीतने के बाद भी उसे पेंशन व देयकों का भुगतान नहीं किया गया। पेंशन के लिए उसे फिर से न्याय की चौखट पर दस्तक देनी पड़ी। हाई कोर्ट ने मानवीय आधार पर कर्मचारी की जनहित याचिका स्वीकार कर ली है।
दरअसल आठ नवंबर 1956 को चंद्र सिंह खड़ाई पुत्र पदम सिंह की सिल्क इंडस्ट्री में कीटपालक के चतुर्थ श्रेणी पद पर नियुक्ति हुई थी। 20 साल की रेगुलर सेवा के बाद वह काम से गैरहाजिर रहा तो विभाग ने दस दिसंबर 1976 को उसे बर्खास्त कर दिया। विभाग के आदेश को चंद्र सिंह द्वारा पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल लखनऊ में चुनौती दी तो उसका क्लेम खारिज कर दिया गया। ट्रिब्यूनल के आदेश को उसने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी।
राज्य बनने के बाद मामला नैनीताल हाई कोर्ट स्थानांतरित हो गया। पांच मई 2005 को नैनीताल हाई कोर्ट की खंडपीठ ने ट्रिब्यूनल के आदेश को खारिज करते हुए चंद्र सिंह की अपील को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने आदेश में साफ कहा कि उसे बिना जांच के तथा आरोप पत्र दिए बर्खास्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने विभाग को पेंशन व अन्य लाभ के तौर पर डेढ़ लाख रुपये भुगतान के आदेश दिए। इसके बाद भी विभाग ने कोर्ट का आदेश नहीं माना तो हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की। जिसके बाद विभाग ने उसे डेढ़ लाख रुपये का चेक थमा दिया मगर पेंशन का भुगतान नहीं किया। 2013 में चंद्र सिंह ने पेंशन के लिए फिर से याचिका दायर की तो कोर्ट ने मानवीय आधार पर उसे स्वीकार कर लिया।
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चंद्र सिंह की आयु अब 87 साल हो चुकी है। वह बेलबाबा मंदिर फुटकुआं में संन्यासी का संन्यासी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उम्मीद है उन्हें न्याय जरूर मिलेगा।
-विनोद तिवारी, अधिवक्ता।