सबको रुला गया मोहन
प्रकाश जोशी, लालकुआं बात पिछले महीने की ही है। शहीद मोहन नाथ गोस्वामी छुट्टी लेकर घर आए थे। सभी ब
प्रकाश जोशी, लालकुआं
बात पिछले महीने की ही है। शहीद मोहन नाथ गोस्वामी छुट्टी लेकर घर आए थे। सभी बेहद खुश थे। इसको दोगुना करने के लिए मोहन ने बेटी का सातवां जन्मदिन भी धूमधाम से मनाया। रिश्तेदार, मित्र, पड़ोसी उनकी इस खुशी में शरीक हुए। इस दौरान उन्होने बेटी भूमिका के साथ खूब मौज-मस्ती की। इसके अलावा अपने व बच्चों के भविष्य के लिए क्षेत्र में एक घर की बुनियाद भी भरवाई। करीब 15 दिन छुट्टी बिताने के बाद वो दिन आ गया जब 14 अगस्त को उन्हें अपनी कंपनी लौटना था। घर से विदा होते समय उन्होंने अपने मित्र अरविंद को लालकुआं स्टेशन तक छोड़ने के लिए बुलाया। पत्नी व बेटी भूमिका भी साथ थी। खुद से बिछड़ता देख पत्नी व बेटी की आंखों में आंसू आ गए तो मोहन ने ढाढस बंधाया कि वह मकान का काम पूरा कराने के लिए अप्रैल-2016 में लंबी छुट्टी लेकर घर आएगा। बेटी के सिर पर हाथ फेरा और कहा कि खूब पढ़ना और मम्मी को परेशान बिल्कुल मत करना। अबकी बार आऊंगा तो तुम्हारे लिए चीज लाऊंगा लेकिन किसे पता था कि बिंदुखत्ता का यह लाल देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे देगा। पत्नी व बच्चों ने भी नहीं सोचा होगा कि वह मोहन को आखिरी बार देख रहे हैं।
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'दुश्मन की न जाने किस गोली पर लिखा होगा मेरा नाम'
राइंका, लालकुआं में इंटर की पढ़ाई करने के बाद मोहन दिसंबर 2002 में 9 पैरा में भर्ती हो गए थे। वर्तमान में वह नायक थे। जिंदादिली व हिम्मती होने के चलते सेना ने उन्हें कमांडो की ट्रेनिंग दी। हंसमुख व मिलनसार स्वभाव के धनी मोहन आस-पड़ोस व मित्र मंडली में भी काफी लोकप्रिय थे। पड़ोसी व उनके मित्र अरविंद कार्की ने बताया कि वह अक्सर कहा करते थे कि उनका तो दुश्मनों से मुकाबला होता रहता है और न जाने किस गोली पर उनका नाम लिखा होगा।
पिता भी थे सैनिक
शहीद मोहन के पिता स्व. शंकर नाथ गोस्वामी भी पूर्व सैनिक थे। 2003 में पंतनगर के पास एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई थी। वह दो भाइयों में दूसरे नंबर के थे। उनके बड़े भाई शंभू नाथ गोस्वामी किसानी करते हैं। मोहन ने अपने मित्रों से दो, तीन साल में सेवानिवृत होने के बाद बिंदुखत्ता में ही बसने की बात कही थी।
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लालकुआं क्षेत्र से शहीदों का नाता
=12 नवंबर 1999 : हल्दूचौड़ के परमा निवासी शहीद देवी दत्त खोलिया कश्मीर के पुच्छ सेक्टर में दुश्मनों से लोहा लेते हुए वीरगति मिली।
=20 दिसंबर 2000 : खुरियाखत्ता निवासी महेश सिंह भैसोड़ा ने जम्मू कश्मीर के चीटीबाड़ी में पाक सैनिकों के साथ मुठभेड़ में शहादत दी।
=19 जनवरी 2001 : श्रीनगर के अवंतिपुरम के द्रास सेक्टर में सर्च ऑपरेशन के दौरान बम विस्फोट में इंद्रानगर निवासी गोबिंद सिंह पपौला शहीद।
=11 जनवरी 2002 : संजय नगर निवासी जीवन सिंह खोलिया ने सियाचिन के लाल पोस्ट में पाकिस्तानी घुसपैठियों से लड़ते हुए बलिदान दिया।
=9 जुलाई 2002 : इंद्रानगर प्रथम निवासी नंदा बल्लभ देवराड़ी जम्मू कश्मीर के सीमा सेंटर में एरिया पेट्रोलियम के दौरान पाक सैनिकों से लड़ते वक्त शहीद हो गए।
=तीन जून 2003 : शास्त्रीनगर 17 एकड़ निवासी शहीद जगत सिंह को देश की सीमा सियाचिन बार्डर पर पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हो गए।
=सात अगस्त 2008 : खरियाखत्ता निवासी शहीद राम सिंह धामी झारखंड में नक्सली हमले में शहीद।
=चार अगस्त 2006 : संजय नगर निवासी विक्रम सिंह कन्याल जम्मू के बटालियन सेक्टर में सीमा की पहरेदारी के दौरान ग्लेशियर की चपेट में आने से शहीद। हल्दूचौड़ के भानदेव निवासी शहीद सुधीर बमेठा ने भी देश के लिए प्राणों का बलिदान दिया।