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हिमालय की जैव विविधता जीवन का आधार

जागरण संवाददाता, नैनीताल : पर्यावरण वैज्ञानिक डा. रणवीर सिंह रावल ने हिमालय पर विशिष्ट जैव विविधत

By Edited By: Published: Fri, 27 Mar 2015 09:44 AM (IST)Updated: Fri, 27 Mar 2015 09:44 AM (IST)
हिमालय की जैव विविधता जीवन का आधार

जागरण संवाददाता, नैनीताल : पर्यावरण वैज्ञानिक डा. रणवीर सिंह रावल ने हिमालय पर विशिष्ट जैव विविधता क्षेत्र पर व्याख्यान देते हुए कहा कि हिमालय की जैव विविधता जीवन का आधार है। विश्व के जैव विविधता क्षेत्र में हिमालय एक महत्वपूर्ण अवयय है। हिमालय क्षेत्र के पानी से ही 1.3 बिलियन जनसंख्या भोजन, जल एवं आर्थिकी प्राप्त करती है।

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गुरुवार को डीएसबी परिसर में बौद्धिक संपदा अधिकार सेल कुमाऊं विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में प.गोविंद बल्लभ पंत हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल के डा. रावल ने कहा कि पूरे हिमालय क्षेत्र में आवृतबीजी पौधों की बहुतायत है। हिमालयी क्षेत्र की जलवायु में 210 मिलियन जनसंख्या निवास करती है। जबकि इसके पानी से 1.3 बिलियन जनसंख्या भोजन, जल एवं आर्थिकी प्राप्त करती है। उत्तराखंड अकेले जैव विविधता से दो से चार बिलियन डालर की आय देता है। यहां 1748 औषधीय पौधे, 675 जंगली फल व जंगली उत्पाद होते हैं। यारसा गंबो जैसी दुर्लभ जड़ी बूटी ने 200 गावों की सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था को बदल दिया है। किल्मोड़ा की पांच प्रजातियां यहां की विशेषता है। जिससे मधुमेह की बीमारी में प्रयोग किया जाता है। बुरांश की सबसे ज्यादा प्रजातियां उत्तर पूर्व हिमालय में है। हिमालय विश्व की 50 प्रतिशत प्रजातियों का घर है। उन्होंने हिमालय पर होने वाले शोध कार्यो से नीति निर्धारण करने पर बल दिया।

कार्यक्रम में डा.रावल तथा युवा अधिकारी ललित जोशी को शाल ओढ़ाकर प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। अध्यक्षता परिसर निदेशक प्रो. एसपीएस मेहता ने की। कार्यशाला में प्रो. मेहता, ललित जोशी सेल के प्रभारी प्रो. ललित तिवारी ने भी विचार रखे। इस अवसर पर प्रो. एसजी सती, प्रो. पीसी पांडे, प्रो. नीरजा पांडे, प्रो. सुधीर चंद्रा, प्रो. जया तिवारी, प्रो. गंगा बिष्ट, डा. गीता तिवारी, डा. कमल, ममता, नीतू सहित शोध छात्र-छात्राएं मौजूद थे।


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