खनन के विरोध में स्वामी शिवानंद ने फिर त्यागा जल
गंगा व सहायक नदियों में अवैध खनन के खिलाफ अनशन पर बैठे मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने फिर से जल त्याग कर दिया। मंगलवार को ही उन्होंने प्रशासन की टीम के साथ खनन की हकीकत जानने के लिए विभिन्न इलाकों का निरीक्षण किया था।
हरिद्वार। गंगा व सहायक नदियों में अवैध खनन के खिलाफ अनशन पर बैठे मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने फिर से जल त्याग कर दिया। मंगलवार को ही उन्होंने प्रशासन की टीम के साथ खनन की हकीकत जानने के लिए विभिन्न इलाकों का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के बाद वह प्रशासन के तर्क को भी खारिज कर चुके हैं।
गौरतलब है कि प्रशासन ने नदी तलों में उपखनिज जमा होने व इससे मानसून अवधि में बाढ़ के खतरे की आशंका जताते हुए उपखनिज उठाने की अनुमति दी थी। भारी मशीनों के जरिये यह काम भी शुरू हो गया। मातृसदन ने इसे अवैध खनन बताते हुए विरोध किया है। इसके विरोध में 21 मई से स्वामी शिवानंद सरस्वती ने अनशन शुरू किया था। 22 मई को कनखल स्थित मातृ सदन में उन्होंने जल भी त्याग दिया था। साथ ही खुद को कमरे में कैद कर लिया था।
इस बीच सोमवार दोपहर अपर जिलाधिकारी व उप जिलाधिकारी मातृ सदन पहुंचे। उनसे वार्ता के बाद उन्होंने जल ग्रहण कर लिया था। साथ प्रशासन ने गंगा से खनन में लगी मशीनें भी हटा ली थी। दो दिन गंगा से मशीनें हटाने के बाद प्रशासन ने बुधवार को दोबारा खनन का काम शुरू कर दिया।
प्रशासन का तर्क है कि खनिज जमा होने से नदियों का तल ऊपर उठ गया है। ऐसे में खनन नहीं किया गया तो बारिश होते ही नदियों का जल स्तर बढ़ जाएगा और बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा। प्रशासन के तर्क को खारिज करते हुए स्वामी शिवानंद ने कनखल स्थित मातृ सदन में फिर से जल व्रत शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता तब वह जल ग्रहण नहीं करेंगे। उनका आरोप है कि बाढ़ सुरक्षा का जो कार्य चल रहा है, उसकी आड़ में अवैध खनन हो रहा है।
वहीं मातृसदन के स्वामी आत्मबोधानंद का अनशन भी जारी है। वह मातृसदन में 16 मई से तप कर रहे हैं। वे खनन निदेशक व जिलाधिकारी के निलंबन की मांग कर रहे हैं।
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