रुड़की के विदुर को अमेरिका में सात करोड़ का पैकेज
रुड़की निवासी विदुर ने ऐसा ऐप तैयार किया जिससे अस्पताल के एनआइसीयू में बच्चे को अपनी ही मां का दूध मिल सकेगा। इस पर अमेरकी कंपनी ने उन्हें करीब सात करोड़ रुपये का पैकेज दिया है।
By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 09:36 AM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 05:06 AM (IST)
रुड़की, [रीना डंडरियाल]: यह उन मांओं के लिए खुशखबरी है जिन्होंने प्री मेच्योर बेबी (समय से पूर्व पैदा होने वाले बच्चे)को जन्म दिया है। रुड़की के सिविल लाइंस निवासी 26 साल के विदुर भटनागर ने ऐसा ऐप तैयार किया है जिससे अस्पताल के नियोनेटल इंटेनसिव केयर यूनिट (एनआइसीयू) में बच्चे को अपनी ही मां का दूध आसानी से मिल सकेगा।
'मॉम एंड नर्स' नामक इस ऐप के कारण दूध की बोतल बदलने की आशंका कम हो जाएगी। अमेरकी कंपनी कैरीटोन ने ब्रेस्ट मिल्क मैनेजमेंट स्टार्टअप के लिए उन्हें करीब सात करोड़ रुपये का पैकेज दिया है।
नोएडा के जेआइआइटी कॉलेज से बीटेक विदुर अमेरिका की पैन यूनिवर्सिटी सें रोबोटिक्स इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं। अमेरिका से फोन पर बातचीत में विदुर ने बताया कि उन्होंने अगस्त 2015 में यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था। सितंबर में विश्वविद्यालय में पैन ऐप प्रतियोगिता हुई।
तब उन्होंने ऐसा ऐप तैयार किया, जिससे पार्किंसन बीमारी के बारे आसानी से पता लगाया जा सकता था। प्रतियोगिता में ऐप को द्वितीय पुरस्कार मिला। उन्होंने बताया कि इससे उन्हें प्रोत्साहन मिला। तब उन्होंने कुछ नया करने की ठानी।
विदुर के अनुसार उनका भानजे का जन्म भी प्री-मैच्योर हुआ था। तब उन्होंने देखा था कि एनआइसीयू में भर्ती भानजे को दूध पिलाने के लिए उनकी बहन को दिन में कई बार जाना पड़ता था। विदुर के अनुसार 'अब मैं इसी पर कुछ काम करने की सोचने लगा।' बोले, मैंने अमेरिका में प्री-मैच्योर बेबी के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की तो पता चला कि यहां हर साल करीब पांच लाख बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं, जिन्हें एनआइसीयू में रखा जाता है। नवजात के लिए मां का दूध जरूरी है।
इन्हें नर्सों को दिन में कई बार बोतल से दूध पिलाना होता है। इसके लिए मां के दूध को पंप कर बोतल में भरने के बाद अस्पताल के फ्रीजर में रख दिया जाता है। इसमें सबसे बड़ी समस्या है मानवीय चूक की। कई बार बोतल बदल जाती हैं। किसी और मां के दूध से बच्चे के बीमार होने की आशंका भी बनी रहती है। उन्होंने बताया कि उनके ऐप से बच्चे को अपनी ही मां का दूध मिलना सुनिश्चित हो जाएगा।
इसके लिए बोतल पर बार कोड लगाकर उसे ऐप से स्कैन किया जाता है। उन्होंने बताया कि अब वह डोनर मिल्क और मिल्क बैंक ऐप भी बनाएंगे। विदुर के अनुसार उनका ऐप अमेरिकी कंपनी कैरीटोन को काफी पसंद आया। अब वह विश्वविद्यालय से एक साल का अवकाश लेकर कंपनी के साथ ऐप पर कुछ और काम करेंगे।
विदुर के पिता एसके भटनागर व्यापारी हैं और मां नीना भटनागर गृहणी। दोनों कहते हैं कि उन्हें विदुर की उपलब्धि पर गर्व है। एसके भटनागर कहते हैं कि भारत में हर साल करीब 30 लाख बच्चे प्री-मैच्योर पैदा होते हैं। ऐसे में अपने देश में इस ऐप की जरूरत है।
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