अब ज्यादा दिन नहीं रहूंगा जीवितः शिवानंद
बाढ़ सुरक्षा के नाम पर गंगा व सहायक नदियों में उपखनिज उठाने की मंजूरी देने के विरोध में मातृसदन के परामाध्यक्ष स्वामी शिवानंद का अनशन (तप) तीसरे दिन भी जारी रहा। शुक्रवार से उन्होंने जल त्याग कर स्वयं को कमरे में बंद कर रखा है। उन्होंने कहा कि जल त्यागने
हरिद्वार: बाढ़ सुरक्षा के नाम पर गंगा व सहायक नदियों में उपखनिज उठाने की मंजूरी देने के विरोध में मातृसदन के परामाध्यक्ष स्वामी शिवानंद का अनशन (तप) तीसरे दिन भी जारी रहा। शुक्रवार से उन्होंने जल त्याग कर स्वयं को कमरे में बंद कर रखा है। उन्होंने कहा कि जल त्यागने के बाद वह ज्यादा दिन जीवित नहीं रहेंगे।
उन्होंने कहा कि जब तक खनन बंद नहीं होता, तब तक उनका तप जारी रहेगा। साथ ही यह भी कहा कि जल छो़ड़ने से अब वह ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह पाएंगे। वहीं मातृसदन के स्वामी आत्मबोधानंद का अनशन भी जारी है। वह मातृसदन में 16 मई से तप कर रहे हैं। वे खनन निदेशक व जिलाधिकारी के निलंबन की मांग कर रहे हैं। अब तक उनका स्वास्थ्य परीक्षण नहीं हुआ है। प्रशासन की ओर से खनन पट्टे बंद करने की उनकी एक मांग मानी जा चुकी है, लेकिन दूसरी मांग पर वे अडिग हैं।
गौरतलब है कि 19 अप्रैल को प्रशासन ने नदी तलों में उपखनिज जमा होने व इससे मानसून अवधि में बाढ़ के खतरे की आशंका जताते हुए उपखनिज उठाने की अनुमति दी थी। भारी मशीनों के जरिये यह काम भी शुरू हो गया। मातृसदन ने इसे अवैध खनन बताते हुए विरोध किया है। गुरुवार को सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने इसके विरोध में अनशन शुरू कर दिया था। उन्होंने राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु मांगी।
शुक्रवार से उन्होंने जल का भी त्याग कर दिया। सदन के संत अनशन की अवधि में नींबू-पानी लेते हैं, लेकिन स्वामी शिवानंद ने पूरी तरह से जल छोड़ दिया। इसके बाद वे कठोर तपस्या के लिए कमरे में चले गए और कमरा अंदर से बंद कर दिया। जल त्याग के बाद प्रशासन की ओर से जबरन अनशन से उठाने की आशंका को देखते हुए भी उन्होंने स्वयं को कमरे में बंद कर लिया। इससे पहले जब भी उन्होंने अनशन किया तो करीब बीस दिन बाद वे स्वयं को कमरे में कैद करते थे।
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